शिव शंकर सविता- 17 वर्षों के बाद बहुचर्चित मालेगांव ब्लास्ट का फैसला एनआईए कोर्ट ने गुरूवार को दिया। इस फैसले में नामजद सभी आरोपियों को कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। मालेगांव ब्लास्ट के फैसले पर पूरे देश की निगाह सुबह से टिकी रहीं। इस फैसले के बाद जहां हिंदू संगठनों ने सहमति दिखाते हुए कोर्ट का फैसले सम्मान किया और खुशी जाहिर की, वहीं इस ब्लास्ट से प्रभावित लोगों ने कोर्ट के फैसले पर सवाल खड़े किए। एनआईए कोर्ट से फैसला आने के बाद देश के दिग्गजों ने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी।
देवेन्द्र फड़णवीस
एनआईए कोर्ट से मालेगांव ब्लास्ट का फैसला आते ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने खुशी जाहिर करते हुए सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट किया कि आतंकवाद भगवा न कभी था, ना है, ना कभी रहेगा!
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने मालेगांव बम धमाके मामले में बरी होने के बाद कहा कि मैंने शुरू से कहा था कि जांच के लिए बुलाए जाने वालों के पीछे कोई आधार होना चाहिए। मुझे गिरफ्तार कर प्रताड़ित किया गया, जिससे मेरा जीवन बर्बाद हो गया मैं एक सन्यासी हूं, फिर भी मुझ पर आरोप लगाए गए। यह भगवा को बदनाम करने की साजिश थी. आज भगवा और हिंदुत्व की जीत हुई है।
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह
मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने मालेगांव ब्लास्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि न हिंदू आतंकवाद होता है और न इस्लामिक आतंकवाद। उन्होंने जोर देकर कहा कि हर धर्म प्रेम, अहिंसा और सद्भाव का संदेश देता है और कुछ लोग ही धर्म का गलत उपयोग कर आतंकवाद को जन्म देता है।
कर्नल श्रीकांत पुरोहित
मालेगांव ब्लास्ट में नामजद कर्नल श्रीकांत पुरोहित ने फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि मैं एक सच्चा देशभक्त सैनिक हूं, मेरे लिए देश हमेशा सर्वोपरि रहा है। कर्नल पुरोहित ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोगों ने अपनी ताकत और पद का गलत इस्तेमाल करते हुए उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाया। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई उनके और उनके परिवार के लिए मानसिक, सामाजिक और पेशेवर रूप से बहुत कठिन रही, लेकिन न्याय पर उनका विश्वास अटूट रहा।
असुद्दीन औवेसी
कोर्ट से फैसला सामने आने के बाद सांसद असुद्दीन औवेसी ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या मोदी और फडणवीस सरकारें इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगी, जैसे मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में किया था। छह नमाजी मारे गए और लगभग 100 लोग घायल हुए. उन्हें उनके धर्म के कारण निशाना बनाया गया। खराब जांच और अभियोजन पक्ष की नाकामी इसके लिए जिम्मेदार है।