मालेगांव विस्फोट मामला: साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का बड़ा आरोप, पूछताछ में लिया गया प्रधानमंत्री मोदी और अन्य नेताओं का नाम लेने का दबाव

KNEWS DESK- मालेगांव विस्फोट मामले में हाल ही में अदालत से बरी हुई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने शनिवार को एक गंभीर और सनसनीखेज दावा किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच एजेंसियों ने उन्हें हिरासत में प्रताड़ित किया और जबरन देश के वरिष्ठ नेताओं – जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, और अन्य कई प्रमुख हस्तियां शामिल हैं – का नाम लेने का दबाव डाला।

भोपाल से सांसद रह चुकीं साध्वी प्रज्ञा ने मुंबई की एक सत्र अदालत में पेश होने के बाद मीडिया से बातचीत में यह आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “मुझसे कहा गया कि मोदी जी, योगी जी, भागवत जी और अन्य नेताओं का नाम लूं, क्योंकि मैं सूरत में रहती थी। लेकिन मैंने झूठ बोलने से इनकार कर दिया, इसलिए मुझे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।” प्रज्ञा ठाकुर ने यह भी कहा कि वह इस पूरी घटना को विस्तार से एक किताब में लिख रही हैं, ताकि “सच सामने आ सके।”

हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत के न्यायाधीश एके लाहोटी ने अपने 1036 पृष्ठों के फैसले में इन आरोपों को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि यातना और दुर्व्यवहार के कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं पेश किए गए। न्यायाधीश ने यह भी उल्लेख किया कि न तो नासिक अदालत में गिरफ्तारी के बाद इस बाबत कोई शिकायत की गई और न ही सुप्रीम कोर्ट के 2011 के आदेश में ठाकुर के दावों को स्वीकार किया गया।

प्रज्ञा ठाकुर ने दावा किया कि उन्हें अस्पताल में अवैध रूप से हिरासत में रखा गया, जहां वे बेहोश हो गईं और उनके फेफड़ों को नुकसान हुआ। उन्होंने कहा, “मुझे धमकी दी गई थी कि अगर मैंने इन नामों का खुलासा नहीं किया, तो मुझे और गंभीर यातना दी जाएगी।”

साध्वी प्रज्ञा ने विशेष रूप से महाराष्ट्र एटीएस के तत्कालीन अधिकारियों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि तत्कालीन एसीपी परमबीर सिंह, एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे और अधिकारी सुखविंदर सिंह ने उन्हें झूठा बयान देने के लिए उकसाया। उन्होंने परमबीर सिंह को “दुष्ट” करार दिया और कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए साजिश की।

अपनी बात को समाप्त करते हुए साध्वी ने कहा, “यह धर्म की विजय है, सनातन धर्म की विजय है। यह राष्ट्र सनातनी है और यह सदैव विजयी होता है।” उनका यह बयान उनके राजनीतिक और धार्मिक विचारों की स्पष्ट झलक देता है।