मध्यप्रदेश बनेगा आईटी और साइंस का नया हब- मुख्यमंत्री मोहन यादव

KNEWS DESK-  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश आने वाले समय में विज्ञान प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी और इन क्षेत्रों से जुड़ी सेवाओं का नया हब बनकर देश में उभरेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में फार्मिंग से लेकर फायनेंस तक, मैन्यूफैक्चरिंग से लेकर मेडिसिन तक, एजुकेशन से लेकर कम्यूनिकेशन तक विज्ञान का उपयोग किया जा रहा है। देश की टेक्नोलॉजी में मध्यप्रदेश महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। सुशासन के माध्यम से जन-कल्याण पर जोर दिया जा रहा है इसके लिए राज्य सरकार के विभागों में डिजिटलाइज्ड प्रणाली संचालित है। अनेक नवाचार भी हुए हैं। मध्यप्रदेश में आईटी और आईटीईएस क्षेत्र में निवेश भी बढ़ रहा है। मध्यप्रदेश विज्ञान परिषद विद्यार्थियों को स्टार्टअप और इनोवेशन के लिए मंच प्रदान कर रही है। सेटैलाइट इमेजरी एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली के उपयोग से जन-कल्याण के कई कार्य हो रहे हैं। किसानों के खसरे, नामांकन, बटांकन आदि के कार्य और दस्तावेज पंजीयन साइबर तहसील के माध्यम से हो रहे हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव सोमवार को जबलपुर में चार दिवसीय महाकौशल विज्ञान मेला और आरोग्य एक्सपो-2024 के समापन समारोह को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने महाराष्ट्र भ्रमण पर रहते हुए जबलपुर के आयोजन के लिए शुभकामनाएँ दीं।

डिजीटल नवाचार, सुशासन और जन-कल्याण

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में साइबर सुरक्षा को प्रभावी बनाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत मध्यप्रदेश कम्प्यूटर एमरजेंसी रिस्पांस टीम(MP-CERT) का गठन किया गया है। सभी शासकीय विभाग मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी का पंजीकरण करवा चुके हैं। इस तरह के 105 अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में जहां जबलपुर में 17 करोड़ से अधिक लागत से साइंस सेंटर की पहल हुई है वहीं उज्जैन में 230 करोड़ लागत से साइंस सिटी का निर्माण हो रहा है। आईआईटी जैसी संस्थाओं के विशेषज्ञ मार्गदर्शन देंगे। वर्ष 2013 में प्रथम तारामंडल प्रारंभ हुआ था जिसे अपग्रेड किया गया है। अत्याधुनिक थ्रीडी 4K तकनीक से विकसित नई व्यवस्था में इस वर्ष 400 सफल शो किए जा चुके हैं। इसी तरह अत्याधुनिक प्लेटोरियम, स्पेस टेक्नोलॉजी, ड्रोन के उपयोग और नल-जल योजनाओं से लेकर सम्पत्ति की प्रक्रिया में नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हो रहा है। उज्जैन के डोंगला स्थित अंतर्राष्ट्रीय स्तर की वेधशाला के निर्माण से एस्ट्रोनामी के क्षेत्र में मध्यप्रदेश को नई पहचान मिली है।

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