KNEWS DESK – आज देशभर में वीर बाल दिवस का आयोजन किया गया, जो गुरु गोविंद सिंह जी के चार साहिबजादों की शहादत को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर लखनऊ स्थित मुख्यमंत्री आवास पर ऐतिहासिक समागम का आयोजन किया गया, जिसमें 11,000 सहज पाठ भी शामिल हुए। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी भाग लिया और गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
सीएम योगी ने साझा की तस्वीरें
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर अपने आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर कार्यक्रम की तस्वीरें साझा की। उन्होंने लिखा, “वीर बाल दिवस (साहिबजादा दिवस) के अवसर पर लखनऊ स्थित सरकारी आवास पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूप का आगमन हुआ। गुरु श्री गोबिंद सिंह महाराज के चार साहिबजादों का अतुलनीय बलिदान मातृभूमि और स्वधर्म की रक्षा हेतु सभी को प्रेरणा प्रदान करता रहेगा।”
साहिबजादों के बलिदान को अमूल्य धरोहर बताया
योगी आदित्यनाथ ने साहिबजादों के बलिदान को भारतीय इतिहास की अमूल्य धरोहर बताते हुए कहा, “देश, धर्म और सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए महान बलिदान देने वाले गुरु श्री गोबिंद सिंह जी महाराज के चार साहिबजादों के बलिदान दिवस ‘वीर बाल दिवस’ (साहिबजादा दिवस) पर उन्हें शत-शत नमन! यह गौरव गाथा भारतीय समाज को धर्म, नैतिकता और देशभक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करती है।”
वीर बाल दिवस का महत्व
भारत सरकार ने 2022 में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। यह दिन खालसा पंथ के दसवें गुरु, श्री गुरु गोविंद सिंह जी के चार साहिबजादों के अद्वितीय बलिदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। वीर बाल दिवस का मुख्य उद्देश्य छोटे साहिबजादों, साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह के बलिदान को याद करना है, जिन्होंने 26 दिसंबर 1705 को धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों की वीरता और बलिदान भारतीय समाज को देशभक्ति, धर्म और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करते रहेंगे। यह दिवस उनके अद्वितीय साहस और बलिदान के महत्व को आने वाली पीढ़ियों के बीच जीवित रखेगा।
श्रद्धांजलि और प्रेरणा का प्रतीक
वीर बाल दिवस केवल श्रद्धांजलि का दिन नहीं है, बल्कि यह समाज को धर्म, नैतिकता और देशभक्ति के मूल्य और आदर्शों के प्रति जागरूक करने का एक अवसर है। इस दिन विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से साहिबजादों के बलिदान की गाथा को जीवंत किया जाता है। सहज पाठों और अन्य आयोजनों के जरिए, इस दिन को मनाने का उद्देश्य साहिबजादों के अद्वितीय बलिदान के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करना है।