उत्तराखंड| उत्तराखंड के अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट की काफी कमी होने के कारण मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पढ़ रहा है लेकिन सबसे ज्यादा मुश्किल गर्भवती महिलाओं को हो रही है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के जिला अस्पताल कोरोनेशन और दून मेडिकल कॉलेज में दो-दो रेडियोलॉजिस्ट ही हैं। जिसके बाद भी अस्पताल में मरीजों को वेटिंग के सामना करना पढ़ रहा है। कोरोनेशन अस्पताल में हर दिन 20 से 30 मरीज बिना अल्ट्रासाउंड करवाए बिना वापस जा रहे है। दून मेडिकल कॉलेज में शनिवार को आए अल्ट्रासाउंड के मरीजों को दो मार्च तक की डेट दी गई है।
हरिद्वार
हरिद्वार जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट है लेकिन छुट्टी होने के कारण पिछले चार दिनों से अल्ट्रासाउंड नहीं हो पा रहा है। अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है की डॉक्टर सोमवार को वापिस आएंगे उसके बाद ही अल्ट्रासाउंड शुरू हो पाएगा। ज्वालापुर सीएचसी में पिछले चार सालों से हो दिन अल्ट्रासाउंड किया जाता है सिर्फ मंगलवार और गुरुवार क्युकी स्थाई रूप से कोई भी रेडियोलॉजिस्ट यहां पर नहीं है। अस्पताल में प्रतिदिन 12 से 15 गर्भवती महिलाओं को जिला अस्पताल रेफ़र करना पढ़ता है।
रुड़की
रुड़की के सिविल अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट डॉ मनीष दत्त को पिछले महीने के आखिर में हरिद्वार का सीएमओ बनाया गया था। उसके बाद से ही रुड़की के अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड नहीं हो पा रहे है और इसकी वजह से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है और उनको अल्ट्रासाउंड के लिए मजबूर होकर जिला अस्पताल जाना पढ़ता है।
हल्द्वानी
हल्द्वानी के एसटीएच, बेस और महिला अस्पताल में सिर्फ एक ही रेडियोलॉजिस्ट तैनात है। तीनों अस्पतालों में 35-35 अल्ट्रासाउंड ही हो रहे है। महिला अस्पताल मेंअधिक भीड़ होने के कारण बाकी मरीजों को एसटीएच और बेस में भेजा जा रहा है। पहले से ही महिला अस्पताल में एक महीने की वेटिंग चल रही है। यूएस नगर में आठ से दस दिन तक की वेटिंग चल रही है।
जौनसार
जौनसार बावर के अस्पतालों में कहीं भी अल्ट्रासाउंड की मशीन और रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। यहा के अस्पताल में रेफ़र के सेंटर बने हुए है। केवल उपजिला चिकित्सालय विकासनगर में ही रेडियोलॉजिस्ट और अल्ट्रासाउंड मशीन उपलब्ध है।
राज्य के सभी प्रमुख अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट तैनात किया जा चुके है। अब सीएचसी और पीएचसी में भी रेडियोलॉजिस्ट तैनात करने के पूरे प्रयास किए जा रहे है।