KNEWS DESK- 2024 के आम चुनाव कुछ ही महीने दूर हैं| ऐसे में मणिपुर के लोगों ने अपनी चिंताओं और आशंकाओं के साथ-साथ चुनावी मैदान में उतरने वाले दिग्गज नेताओं से जुड़ी अपनी उम्मीदों को साझा किया| राज्य की राजधानी इंफाल में कुछ लोगों को उम्मीद है कि चुनाव के बाद एक न्यूट्रल और सेक्युलर पार्टी केंद्र की सत्ता में आएगी| वहीं कुछ लोगों ने मौजूदा केंद्र सरकार के रुख को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने मणिपुर के साथ-साथ उत्तर पूर्व के दूसरे हिस्सों में हो रहे जातीय संघर्ष को नजरअंदाज किया है।
मणिपुर के सामाजिक कार्यकर्ता अशंग कसार ने कहा कि भारत एक बड़ा लोकतांत्रिक देश है| इसलिए, एक धर्मनिरपेक्ष सरकार, धर्मनिरपेक्ष पार्टी या एक तटस्थ पार्टी जो सभी नागरिकों को सकारात्मक तौर पर देख सकती है| ये बहुसंख्यक हैं और ये अल्पसंख्यक है – हमें ऐसी व्यवस्था पसंद नहीं है| मैं सरकार में शासन करने के लिए एक तटस्थ या धर्मनिरपेक्ष पार्टी को पसंद करूंगा|
वहीं की निवासी एशेम निर्मला ने अपनी राय साझा करते हुए कहा- जातीय संघर्ष में पहले तांगखुल और नागा दोनों, फिर कुकी और मैतेई के साथ, जबकि केंद्र सरकार बस देखती रही है| प्रधानमंत्री और उनकी चुप्पी ने हमारे मणिपुर के बारे में कभी कुछ नहीं कहा|
राज्य की राजधानी इंफाल निवासी आर. के. विद्यालक्ष्मी ने कहा कि उन्हें मणिपुर के लोगों के लिए, मणिपुर को जोड़ने के लिए खड़ा होना होगा। उन लोगों के लिए खड़ा होना होगा जो भारत की सीमाओं की रक्षा करते हैं। लोगों की संपत्तियों को बचाने के लिए और मणिपुर के लोगों की जिंदगी को बचाने के लिए खड़ा होना होगा। हमने कई युवाओं, अपनी भावी पीढ़ियों को सरकार के हाथों में खो दिया है। इसलिए मणिपुर की भावी पीढ़ी को बचाना सरकार की पूरी जिम्मेदारी है|
बता दें कि मणिपुर के लोग आस लगाए हैं कि आम चुनाव के बाद केंद्र में बनने वाली नई सरकार राज्य में हालात सुधारने और दोबारा शांति कायम करने में कामयाब होगी| 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव इस साल अप्रैल और मई के महीने में होने की उम्मीद है|