KNEWS DESK- केंद्र सरकार ने भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में सुधार के लिए शुक्रवार को लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता बिल, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बिल 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम बिल पेश करते हुए राजद्रोह कानून को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इन विधयकों से आपराधिक दंड संहिता में आमूलचूल परिवर्तन होगा। इसके साथ ही इंडियन पीनल कोड अब भारतीय न्याय संहिता कही जाएगी।
उन्होंने कहा, भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 को आगे की जांच के लिए संसदीय पैनल के पास भेजा जाएगा। अमित शाह ने कहा, नए कानून में हमारा लक्ष्य सजा देना नहीं है, बल्कि न्याय दिलाना होगा। शाह ने कहा, प्रधानमंत्री जी ने गत 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देश के सामने 5 प्रण रखे थे. उनमें से एक प्रण था कि हम गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त कर देंगे। आज मैं जो 3 विधेयक लेकर आया हूं, वो तीनों विधेयक मोदी जी द्वारा लिए गए प्रण में से एक प्रण को पूरा कर रहे हैं।
शाह ने कहा कि “इन विधेयकों को पेश करते हुए कहा कि आने वाले वक्त में ये बिल जब कानून बन जाएगा तो भारतीय न्याय संहिता में बड़ा बदलाव होगा। उन्होंने मॉब लिंचिंग से लेकर भगोड़े अपराधियों को लेकर कानून में कई सारे बदलाव का प्रस्ताव पेश किया है। हालांकि, इस बिल को सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने का फैसला किया गया है।”
भगोड़ों को मिलेगी सजा
शाह ने कहा कि ट्रायल में गायब रहने वाले अपराधियों को लेकर भी सजा का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि कई सारे केसों मे दाऊद वाछिंत है, वो भाग गया, उसका ट्रायल नहीं होता है। हमने तय किया सेशन कोर्ट के जज पूरी प्रक्रिया के बाद जिसको भगोड़ा घोषित करेंगे उसकी अनुपस्थिति में ट्रायल होगा और उसे सजा भी दी जाएगी। दुनिया में वो कहीं भी छिपे, उसे सजा सुनाई जाएगी। अगर उसे सजा से बचना है तो वह न्याय की शरण में आए। इससे बहुत बड़ा फर्क पड़ने वाला है।
मॉब लिंचिंग पर भी सजा वाला कानून
अमित शाह ने बिल पेश करते हुए कहा कि मॉब लिंचिंग का बड़ा शोर मचा है, हमने उसको बड़ा केयरफुली देका है। मॉब लिंचिंग के लिए भी 7 साल की सजा या आजीवन कारावास और मृत्युदंड का प्रावधान इस कानून में किया गया है।