डिजिटल डेस्क- लद्दाख के हिंसा प्रभावित लेह शहर में शनिवार को तीन दिन बाद पहली बार कर्फ्यू में ढील दी गई। पुराने शहर और नए इलाकों में अलग-अलग चरणों में चार घंटे की राहत दी गई। इस दौरान लोग जरूरी सामान लेने और एटीएम से नकदी निकालने के लिए बाहर निकले। पुलिस और अर्धसैनिक बल की कड़ी मौजूदगी में माहौल शांतिपूर्ण रहा और किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली। डीजीपी एस. डी. सिंह जामवाल ने बताया कि पुराने शहर में दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक और नए इलाकों में 3:30 बजे से 5:30 बजे तक ढील दी गई। यह फैसला उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक के बाद लिया गया।
बुधवार को हुई थी हिंसा
हिंसा की शुरुआत बुधवार को हुई थी, जब लेह एपेक्स बॉडी द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान प्रदर्शन बेकाबू हो गया। राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर निकले इस आंदोलन ने अचानक उग्र रूप ले लिया। हालात बिगड़ने पर 4 लोगों की मौत हो गई और 90 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इसके बाद पूरे शहर में कर्फ्यू लागू कर दिया गया।
सोनम वांगचुक पर लगे थे हिंसा भड़काने के गंभीर आरोप
प्रशासन और पुलिस ने हिंसा की जड़ में जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की भूमिका बताई है। डीजीपी ने कहा कि उनके भड़काऊ भाषणों और वीडियो ने हालात को और भड़काया। आरोप है कि वांगचुक ने नेपाल आंदोलन का हवाला देकर लोगों को उकसाया और केंद्र सरकार व लद्दाख प्रतिनिधियों के बीच होने वाली बातचीत को विफल करने की कोशिश की। पुलिस ने खुलासा किया कि वांगचुक की विदेश यात्राओं और पाकिस्तानी खुफिया एजेंट से जुड़ी गतिविधियों की भी जांच की जा रही है। उन पर विदेशी फंडिंग और एफसीआरए उल्लंघन के मामले में भी कार्रवाई जारी है। अधिकारियों ने बताया कि वांगचुक को एनएसए के तहत बाहरी जेल में रखा गया है, ताकि उनकी उपस्थिति से शहर में तनाव न बढ़े।
विदेशी साजिश का शक
उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता ने हिंसा को विदेशी साजिश से जोड़ते हुए कहा कि गोली लगने से घायल पाए गए तीन नेपाली नागरिकों की जांच की जा रही है। अन्य बाहरी तत्वों की संलिप्तता भी खंगाली जा रही है। अब तक 50 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें आधा दर्जन मुख्य साजिशकर्ता बताए जा रहे हैं।