खनौरी बॉर्डर पर आज होगी किसान महापंचायत, आगामी आंदोलन की रूपरेखा पर की जाएगी चर्चा

KNEWS DESK- आज हरियाणा और पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर एक बड़ी किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा, जिसमें किसान आंदोलन की आगामी रणनीति और रूपरेखा पर चर्चा की जाएगी। इस महापंचायत में देश भर से किसानों के जुटने की उम्मीद है, और यह महापंचायत विशेष रूप से किसान नेता जगजीत डल्लेवाल के आह्वान पर हो रही है। डल्लेवाल, जो पिछले 40 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हैं, ने देश के विभिन्न हिस्सों के किसानों से खनौरी बॉर्डर पर एकत्रित होने की अपील की थी।

खनौरी बॉर्डर पर तैयारियां पूरी

किसान महापंचायत को लेकर खनौरी बॉर्डर पर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। बड़े साउंड सिस्टम की व्यवस्था की गई है ताकि संवाद में किसी प्रकार की परेशानी न हो। महापंचायत में करीब दो लाख से अधिक किसान शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। इस आयोजन को लेकर मोर्चा के नेता अन्य राज्यों के किसान नेताओं के साथ बैठक कर चुके हैं और अब इस महत्वपूर्ण महापंचायत में आगामी आंदोलन की दिशा पर विचार किया जाएगा।

सुरक्षा इंतजाम और जींद में हाई अलर्ट

खनौरी बॉर्डर पर होने वाली महापंचायत को लेकर हरियाणा पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। जींद जिले में हाई अलर्ट घोषित किया गया है, और वहां धारा 163 (जो पहले आईपीसी की धारा 144 के तहत आती थी) लागू कर दी गई है। हरियाणा पंजाब बॉर्डर पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की 21 कंपनियां तैनात की गई हैं। इसके अलावा, जिले में किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए 21 डीएसपी भी ड्यूटी पर रहेंगे। पुलिस ने नरवाना से गढ़ी होकर पंजाब जाने वाले रास्ते को भी बंद कर दिया है ताकि स्थिति नियंत्रित रहे।

सुप्रीम कोर्ट की हाई पावर कमेटी का इंतजार

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर कमेटी भी किसानों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है। शुक्रवार को कमेटी और किसान संगठनों के बीच बैठक होनी थी, लेकिन किसानों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया था। इसके बाद, हाई पावर कमेटी ने किसान संगठनों को आज फिर से बातचीत के लिए न्योता दिया है। हालांकि, किसानों का कहना है कि कमेटी पहले ही सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला बता चुकी है, इसलिए इस बैठक का कोई विशेष मतलब नहीं है।

किसान महापंचायत का उद्देश्य और महत्व

इस महापंचायत का उद्देश्य केवल किसानों की समस्याओं का समाधान निकालना नहीं है, बल्कि किसानों के अधिकारों की रक्षा करने और उनके लिए एक मजबूत आंदोलन की रूपरेखा तैयार करना भी है। महापंचायत में विभिन्न राज्य से आए किसान नेता और संगठन अपने विचार साझा करेंगे और आगामी रणनीतियों पर चर्चा करेंगे। यह महापंचायत एक बार फिर यह साबित करेगी कि भारतीय किसान अपनी आवाज़ उठाने के लिए संगठित हैं और उन्हें सरकार से उचित समाधान की उम्मीद है।

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