Karwa Chauth 2024: करवा चौथ के व्रत पर आज बन रहे 3 शुभ संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि व मंत्र

KNEWS DESK – करवा चौथ का व्रत आज, 20 अक्टूबर रविवार को मनाया जा रहा है, जिसमें सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। इस वर्ष करवा चौथ पर तीन शुभ संयोग बन रहे हैं, जिनमें बुधादित्य योग, गजकेसरी योग और चंद्रमा की रोहिणी नक्षत्र में उपस्थिति शामिल है। सुबह भद्रा का प्रभाव रहने के बावजूद, इसका व्रत पर कोई नकारात्मक असर नहीं होगा।

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पूजा का महत्व

सुबह सूर्योदय से पहले महिलाओं ने सरगी खाकर व्रत की शुरुआत की है। पूरे दिन अन्न, फल और जल का त्याग करके वे निराहार उपवास रखेंगी। करवा चौथ पर महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले सरगी खाकर व्रत का संकल्प लेती हैं। इसके बाद, शाम को चंद्रमा की पूजा करके अपना उपवास खोलती हैं। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश, और चंद्रदेव की पूजा की जाती है। इस बार विशेष रूप से रोहिणी नक्षत्र का संयोग है, जो पूजा को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।

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करवा चौथ 2024 का मुहूर्त और शुभ संयोग:

    • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर, सुबह 6:46 बजे
    • चतुर्थी तिथि समाप्ति: 21 अक्टूबर, तड़के 4:16 बजे
    • करवा चौथ पूजा का मुहूर्त: शाम 5:46 से 7:02 बजे तक
    • चंद्रमा का चंद्रोदय: शाम 7:54 बजे

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करवा चौथ 2024 पूजा विधि और मंत्र 

1. तैयारी और श्रृंगार

करवा चौथ की पूजा से पहले, व्रती को 16 श्रृंगार करके तैयार होना चाहिए। इसके बाद, पीली मिट्टी से पूजा स्थल पर करवा माता (गौरी), गणेश जी, शिव जी, और कार्तिकेय जी की मूर्तियां बनाएं। एक चंद्रमा भी बनाएं और उन्हें लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें। चौकी पर वस्त्र बिछाकर भगवान की मूर्तियां स्थापित करें। लोटे में जल भरकर उसके ऊपर श्रीफल रखकर कलावा बांधें। करवे में जल और शक्कर भरकर स्वास्तिक बनाएं। फिर धूप, दीप, और पुष्प चढ़ाएं। पूजा के बाद, चौथ माता की कथा सुनें या पढ़ें।

2. पूजा का आरंभ

सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। उनके साथ माता पार्वती, शिव जी और कार्तिकेय जी की भी पूजा करें। अर्पण सामग्री में शामिल करें: अक्षत्, हल्दी, दूर्वा, सिंदूर, मोदक, धूप, दीप, फूल, और नैवेद्य।

3. माता गौरी की पूजा

अब माता गौरी को लाल फूल, अक्षत्, सिंदूर, सोलह श्रृंगार सामग्री, लाल चुनरी, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें। इसके साथ ही पूड़ियों की अठावरी और करवा आदि से उनका पूजन करें।

4. भगवान गणेश, शिव जी और चंद्रदेव की पूजा

शिव जी को अक्षत्,चंदन, बेलपत्र, धूप, दीप, फूल, फल, और शहद अर्पित करें। इसके बाद करवा चौथ की कथा सुनें और गणेश जी, माता पार्वती समेत शिव परिवार की आरती करें।

5.चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि

शाम को चंद्रमा निकलने पर उनकी पूजा करें। छलनी से चांद को देखते हुए अर्घ्य दें। अर्घ्य के लिए एक लोटे में सफेद फूल, कच्चा दूध, अक्षत्, चीनी, और सफेद चंदन डालें। इस दौरान उपरोक्त मंत्र का जाप करें:

गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥

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आशीर्वाद और प्रसाद

पूजा के बाद, अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए माता पार्वती और शिव जी से प्रार्थना करें। फिर परिवार के बड़ों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और उन्हें प्रसाद और सुहाग सामग्री भेंट करें। अर्घ्य देने के बाद, पति के हाथ से जल ग्रहण करें और मिठाई खाकर पारण करें।

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