KNEWS DESK- भारत की न्यायपालिका आज एक ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनेगी, जब जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (B.R. Gavai) देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India – CJI) के रूप में शपथ लेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज उन्हें पद की शपथ दिलाएंगी। जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे।उनसे पहले जस्टिस के.जी. बालकृष्णन पहले दलित चीफ जस्टिस रहे हैं, जिन्होंने 2007 से 2010 तक यह पद संभाला था।
मौजूदा मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को समाप्त हो गया। न्यायिक परंपरा के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठता के आधार पर अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है। इसी कड़ी में जस्टिस खन्ना ने जस्टिस गवई का नाम केंद्र को सिफारिश के रूप में भेजा था, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया।
जस्टिस गवई का कार्यकाल सीमित रहेगा — वे 23 नवंबर 2025 को 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। यानी वे करीब 7 महीने तक देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था का नेतृत्व करेंगे। हालांकि कार्यकाल छोटा है, लेकिन उनकी नियुक्ति सामाजिक न्याय और समावेशिता की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
जस्टिस गवई ने 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली थी। इससे पहले वे बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायाधीश थे। उन्होंने न्यायिक सेवा में चार दशकों से अधिक समय बिताया है और संवैधानिक, आपराधिक और सिविल मामलों में गहरी पकड़ रखते हैं।
जस्टिस गवई की पृष्ठभूमि अंबेडकरवादी विचारधारा से जुड़ी रही है। उनके पिता, रावसाहेब गवई, एक प्रमुख राजनेता और अंबेडकरवादी नेता थे। जस्टिस गवई की नियुक्ति न केवल न्यायिक प्रणाली में विविधता को बढ़ावा देती है, बल्कि यह संविधान के समानता और सामाजिक न्याय के मूल्यों की पुष्टि भी करती है।
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