डिजिटल डेस्क- लोकसभा में बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पेश किया गया नया ग्रामीण रोजगार गारंटी बिल देश की सियासत में भूचाल ले आया है। सरकार ने मनरेगा की जगह ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल 2025’ पेश किया, जिसे शॉर्ट फॉर्म में ‘VB जी… राम जी’ कहा जा रहा है। सरकार का दावा है कि यह कानून ग्रामीण भारत को सशक्त बनाएगा, जबकि विपक्ष इसे गरीबों के अधिकारों पर हमला बता रहा है। नए बिल के तहत ग्रामीण परिवारों को 125 दिन रोजगार की गारंटी देने का प्रावधान किया गया है, जबकि मनरेगा में 100 दिन रोजगार मिलता था। सरकार का कहना है कि इससे मजदूरों को ज्यादा काम मिलेगा और आय बढ़ेगी। हालांकि, इस बिल का सबसे विवादित पहलू यह है कि इसमें राज्यों की हिस्सेदारी तय की जा रही है, जबकि मनरेगा पूरी तरह केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित योजना थी। विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी राज्यों पर डालना चाहती है।
यह बिल गरीबों के अधिकारों को कमजोर करेगा
लोकसभा में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस बिल पर सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “मुझे नाम बदलने की यह सनक समझ नहीं आती। इसमें बेवजह बहुत खर्च होता है। मनरेगा ने गरीबों को 100 दिन के रोजगार का अधिकार दिया था, लेकिन यह बिल उस अधिकार को कमजोर करेगा।” प्रियंका गांधी ने यह भी सवाल उठाया कि सरकार ने रोजगार के दिन तो बढ़ा दिए, लेकिन मजदूरी क्यों नहीं बढ़ाई। प्रियंका ने आरोप लगाया कि नए कानून के जरिए ग्राम पंचायतों के अधिकार छीने जा रहे हैं।
इस बिल से स्थानीय स्वशासन को पहुंचेगा नुकसान
उन्होंने कहा कि पहले मनरेगा के तहत ग्राम पंचायत तय करती थी कि काम कहां होगा और किस तरह का होगा, लेकिन नए बिल में केंद्र सरकार तय करेगी कि फंड कहां और कब दिया जाएगा। इससे स्थानीय स्वशासन और लोकतंत्र को नुकसान पहुंचेगा। कांग्रेस सांसद रंजीता रंजन ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नाम बदलकर सरकार असली मुद्दों से ध्यान भटका रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार को अब महात्मा गांधी के नाम से जुड़ी योजना से भी दिक्कत होने लगी है।नय