पटना। बिहार की राजनीति में इस समय सियासी घमासान तेज हो गया है। जेडीयू के वरिष्ठ नेता और ग्रामीण कार्य मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (पीके) को 100 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेजा है। मंत्री ने नोटिस में स्पष्ट किया है कि पीके बिना शर्त सार्वजनिक माफी मांगें, वरना उन्हें कड़ी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
अशोक चौधरी का जवाब
अशोक चौधरी ने कहा कि प्रशांत किशोर द्वारा लगाए गए आरोप भ्रामक और निराधार हैं। उन्होंने दावा किया कि पीके की ओर से की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस उनकी घबराहट और बौखलाहट का परिणाम है। मंत्री ने कहा कि कोर्ट से बुलावा आने के बाद पीके बुरी तरह डर गए और उसी घबराहट में झूठे आरोप लगाने लगे। चौधरी ने साफ किया कि पीके ने जिस 200 करोड़ रुपये की संपत्ति का हवाला दिया है, वह पूरी तरह झूठ और मनगढ़ंत है।
पीके ने क्या आरोप लगाए थे?
दरअसल, पिछले हफ्ते प्रशांत किशोर ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मंत्री अशोक चौधरी पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया था कि मंत्री ने दो सालों में पत्नी, बेटी, समधन और मानव वैभव विकास ट्रस्ट के जरिए 200 करोड़ रुपये की जमीन खरीदी है। पीके ने यह भी सवाल उठाया था कि मंत्री और उनकी पत्नी के खाते में इस ट्रस्ट से जुड़े लोगों के खातों से पैसे क्यों आए। पीके ने चौधरी पर बेनामी संपत्ति और जमीन खरीद में बड़े घोटाले का आरोप लगाते हुए उन्हें “बिहार का भ्रष्ट नेता” बताया था।
जमीन खरीद का मामला
पीके ने आरोप लगाया कि साल 2019 में मंत्री के पर्सनल सेक्रेटरी योगेंद्र दत्त के नाम पर बिक्रम (पटना) में 23 कट्ठा जमीन खरीदी गई। बाद में 2021 में यह जमीन मात्र 34 लाख रुपये में चौधरी की बेटी और सांसद शांभवी चौधरी के नाम कर दी गई, जबकि असली भुगतान संदिग्ध तरीकों से किया गया। पीके का कहना है कि आयकर विभाग की नोटिस आने के बाद 27 अप्रैल 2025 को इस लेन-देन को छुपाने के लिए 25 लाख रुपये का ट्रांसफर दिखाया गया।
पहले भी हो चुकी है कानूनी जंग
यह पहली बार नहीं है जब अशोक चौधरी और प्रशांत किशोर आमने-सामने आए हैं। इससे पहले जून 2025 में भी चौधरी ने पीके के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था। उस वक्त पीके ने आरोप लगाया था कि अशोक चौधरी ने अपनी बेटी शांभवी को चुनाव लड़ाने के लिए पैसा देकर टिकट खरीदा था। शांभवी चौधरी ने लोजपा (रामविलास) के टिकट पर समस्तीपुर से चुनाव जीता था।