KNEWS DESK- भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार रात करीब 9 बजे अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा और संविधान के अनुच्छेद 67(क) (वास्तव में 67(ए)) के तहत तत्काल प्रभाव से अपने पद से मुक्त होने की घोषणा की। इस्तीफे में उन्होंने सांसदों के स्नेह और सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया और देश की सेवा को सौभाग्य बताया।
धनखड़ के इस्तीफे से उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो गया है। चूंकि भारतीय संविधान में उपराष्ट्रपति के स्थान पर किसी कार्यवाहक उपराष्ट्रपति की व्यवस्था नहीं है, इसलिए अब उनकी जिम्मेदारियों को लेकर संवैधानिक प्रावधान प्रभाव में आते हैं।
क्या है उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की संवैधानिक प्रक्रिया?
- अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार, उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को एक लिखित पत्र के माध्यम से इस्तीफा दे सकते हैं।
- राष्ट्रपति इस्तीफा स्वीकार करते हैं और अधिसूचना जारी होने के साथ ही इस्तीफा तत्काल प्रभाव से लागू हो जाता है।
- इस्तीफा देने के लिए किसी प्रकार की जांच या विशेष कारण अनिवार्य नहीं होते। यह पूरी तरह स्वैच्छिक होता है।
जब तक नया उपराष्ट्रपति नहीं चुना जाता तब तक राज्यसभा के उपसभापति (वर्तमान में हरिवंश नारायण सिंह) राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता करते हैं। भारत के उपराष्ट्रपति का पद रिक्त माना जाता है — यहां कोई कार्यवाहक उपराष्ट्रपति नियुक्त नहीं किया जाता। राष्ट्रपति के कार्यभार पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि उपराष्ट्रपति का प्रमुख कार्य संसद में होता है।
अनुच्छेद 68 के मुताबिक उपराष्ट्रपति का पद रिक्त होने की स्थिति में जितनी जल्दी हो सके, नया चुनाव कराया जाएगा। यह चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों द्वारा एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote) से संपन्न होता है।
अनुच्छेद 69 के मुताबिक नव-निर्वाचित उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के समक्ष शपथ ग्रहण करते हैं। कार्यकाल की गणना शपथ ग्रहण की तारीख से शुरू होती है और यह 5 वर्षों तक रहता है।
बता दें कि चुनाव में लोकसभा (543 सदस्य) और राज्यसभा (245 सदस्य) के कुल 788 सांसद वोट डालते हैं। इस प्रक्रिया में 12 मनोनीत राज्यसभा सांसद भी शामिल होते हैं। यह एक गोपनीय मतदान होता है और पूरी प्रक्रिया चुनाव आयोग की निगरानी में होती है।
धनखड़ के इस्तीफे के बाद एनडीए (NDA) और विपक्ष दोनों खेमों में नए उपराष्ट्रपति पद के लिए मंथन शुरू हो गया है। संभावित उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा जारी है। जानकारों का मानना है कि सरकार किसी अनुभवी, सहमति योग्य और संसद-संचालन में दक्ष व्यक्ति को इस पद पर लाना चाहेगी।