ISRO : चंद्रयान-3 की लाइव लोकशन चेक करने के लिए ISRO ने लांच किया लाइव ट्रैकर

KNEWS DESK… चंद्रयान-3 को चांद पर उतरने में सिर्फ 3 सप्ताह का ही समय बचा हुआ है. मिली जानकारी की चंद्रयान-3 दो दिनों बाद चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ने की कोशिश करेगा. जिसमें 100 फीसदी उम्मीद जताई जा रही है. कि चंद्रयान इस कार्य में सफल रहेगा. चंद्रयान-3 की लाइव लोकशन जानने के लिए ISRO ने ट्रैकर जारी किया.

दरअसल आपको बता दें कि ISRO वैज्ञानिक इससे पहले दो बार यह काम करने में सफल रहे हैं. इसरो के बेंगलुरु स्थिति इसरो टेलिमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क लगातार चंद्रयान की गति, सेहत और दिशा पर नजर रख रहा है. इसरो ने आम जनता के लिए एक लाइव ट्रैकर लॉन्च किया है. जिसके जरिए आप देख सकते हैं कि चंद्रयान-3 अंतरिक्ष में इस समय कहां है. उसे चंद्रमा पर पहुंचने में कितने दिन बचे हैं. चंद्रयान-3 इस समय करीब 37,200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चांद की ओर बढ़ रहा है. यात्रा फिलहाल हाइवे पर ही हो रही है. लेकिन दो दिन बाद वह चंद्रमा के ऑर्बिट में आएगा. यानी 5 अगस्त 2023 की शाम 6 बजकर 59 मिनट पर. इस समय चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह से करीब 40 हजार किलोमीटर दूर रहेगा.

जानकारी के लिए बता दें कि चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह से करीब 40 हजार किलोमीटर की दूरी पर जहां से  चांद की गुरूत्वाकर्षण शक्ति शुरू हो जाती है. चांद के ऑर्बिट को पकड़ने के लिए चंद्रयान-3 की गति को लगभग 7200 से 3600 किलोमीटर प्रतिघंटा के बीच करनी होगी.  5 अगस्त से  23 अगस्त तक चंद्रयान की गति को लगातार कम किया जाएगा. क्योंकि जो इस समय पर चंद्रयान-3 की गति है वो काफी ज्यादा है। जिसकी वजह से चंद्रयान-3 की गति को कम करके 7200 से 3600 किमी. प्रतिघंटा की रफ्तार पर लाना होगा, जिसके बाद चंद्रयान-3 चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ेगा. फिर धीरे-धीरे दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड कराया जाएगा.

चंद्रमा की ग्रैविटी पृथ्वी से 6 गुना कम है. इसलिए चंद्रयान-3 की गति कम करनी होगी. नहीं हुई तो चांद से आगे निकल जाएगा चंद्रयान-3. ऐसा नहीं होगा. असल में चंद्रयान-3 इस समय 288 X369328 किमी. की ट्रांस लूनर ट्रैजेक्टरी में यात्रा कर रहा है. अगर यह चांद के ऑर्बिट को नहीं पकड़ पाता है तो धरती के पांचवी कक्षा वाले ऑर्बिट में 230 घंंटे बाद वापस आ जाएगा. जिसके बाद ISRO के वैज्ञानिक एक और कोशिश करके चंद्रमा पर भेज सकेंगे.

ISRO सूत्रों ने बताया है कि इतिहास उठाकर देख लीजिए… जिन भी देशों या स्पेस एजेंसियों ने सीधे चंद्रमा की ओर अपने रॉकेट के जरिए स्पेसक्राफ्ट भेजा. उन्हें निराशा ज्यादा मिली है. तीन मिशन में एक फेल हुआ है. लेकिन इसरो ने जो रास्ता और तरीका चुना है, उसमें फेल होने की आशंका बेहद कम है. यहां दोबारा मिशन पूरा करने का चांस है. 5 अगस्त को चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह से करीब 40 हजार किलोमीटर दूर वाली अंडाकार ऑर्बिट को पकड़ेगा. इसके बाद 17 अगस्त तक ऑर्बिट मैन्यूवर होगा. 17 को ही 100 किलोमीटर वाले ऑर्बिट में चंद्रयान-3 डाला जाएगा. उसी दिन प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल अलग होंगे.

18 और 20 अगस्त को लैंडर मॉड्यूल की डीऑर्बिटिंग होगी. यानी चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल धीमे-धीमे चंद्रमा के 100×30 किलोमीटर के ऑर्बिट में जाएगा. इसके बाद 23 अगस्त की शाम लगभग पौने छह बजे लैंडिंग होगी. अभी तक चंद्रयान-3 के इंटिग्रेटेड मॉड्यूल का मुंह चांद की ओर था. जल्द ही इसे घुमाया जाएगा. ताकि डीऑर्बिटिंग या डीबूस्टिंग करते समय चंद्रयान-3 को दिक्कत न हो.

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