डिजिटल डेस्क- देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो द्वारा दिसंबर की शुरुआत में बड़े पैमाने पर उड़ानें रद्द किए जाने के मामले में नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) की जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। हालांकि, इस रिपोर्ट को फिलहाल कॉन्फिडेंशियल रखा गया है। सूत्रों के मुताबिक, जांच रिपोर्ट की प्रतियां नागर विमानन मंत्री के. राममोहन नायडू और नागर विमानन सचिव समीर कुमार सिन्हा के कार्यालय को भी भेजी गई हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई को लेकर मंथन किया जा रहा है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए DGCA ने 5 दिसंबर को एक उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया था। समिति की अध्यक्षता DGCA के संयुक्त महानिदेशक संजय के. ब्रह्मणे कर रहे थे। जांच समिति को यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वह यह पता लगाए कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में इंडिगो की उड़ानें क्यों रद्द करनी पड़ीं और क्या इसके पीछे एयरलाइन प्रबंधन या अधिकारियों की लापरवाही अथवा मिलीभगत जैसी कोई वजह थी।
एक दिन में 1,600 से ज्यादा उड़ानें रद्द
दिसंबर के शुरुआती सप्ताह में इंडिगो की उड़ानें देशभर में बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई थीं। लगभग हर प्रमुख और छोटे हवाई अड्डे से फ्लाइट कैंसिल की गईं। एक ही दिन में 1,600 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ी थीं। इसके अलावा कई उड़ानें घंटों देरी से रवाना हुईं, जिससे यात्रियों को एयरपोर्ट पर भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई यात्रियों की कनेक्टिंग फ्लाइट छूट गई, वहीं बिजनेस और पारिवारिक यात्राएं भी बुरी तरह प्रभावित हुईं।
नए नियमों की तैयारी में नाकामी
जांच से जुड़े सूत्रों के अनुसार, क्रू मेंबर की तैनाती और रेस्ट से संबंधित नए नियमों को लागू करने के लिए इंडिगो समय रहते पूरी तैयारी नहीं कर पाई थी। नए नियम लागू होते ही एयरलाइन के पास पर्याप्त पायलट और केबिन क्रू उपलब्ध नहीं थे, जिसका सीधा असर उड़ानों के संचालन पर पड़ा। बताया गया कि इंडिगो पहले से ही क्रू की कमी से जूझ रही थी, लेकिन इसके बावजूद उड़ानों के शेड्यूल में समय पर बदलाव नहीं किया गया। यात्रियों की बढ़ती शिकायतों और अव्यवस्था को देखते हुए सरकार ने इंडिगो के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था। नागर विमानन मंत्रालय ने इंडिगो की 10 प्रतिशत उड़ानें अस्थायी रूप से दूसरी एयरलाइंस को देने का फैसला किया था। इसके साथ ही इंडिगो के सीईओ को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था, जिसमें बिना पूर्व सूचना के उड़ानें रद्द करने को लेकर जवाब मांगा गया था।
लो-कॉस्ट रणनीति पर उठे सवाल
इस पूरे घटनाक्रम के बाद इंडिगो की लो-कॉस्ट स्ट्रैटेजी पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि लागत कम रखने के लिए सीमित संसाधनों पर निर्भरता अब कंपनी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है। इंडिगो की इस लापरवाही का सबसे ज्यादा खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ा, जिससे एविएशन सेक्टर में बेहतर प्लानिंग और जवाबदेही की जरूरत एक बार फिर सामने आई है।