विदेशों में छिपे भारत के भगोड़े, कितने भगोड़ों की भारत वापसी हुई, जानें किसके नाम कौन सा अपराध…

KNEWS DESK-  भारत के सबसे बड़े आर्थिक घोटालों में से एक – पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले में आरोपित हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को आखिरकार बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी सीबीआई की अपील पर हुई है, जो इस मामले में भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और कानूनी जीत मानी जा रही है। अब भारत सरकार मेहुल को भारत लाने की कोशिश में जुटी है।

मेहुल चोकसी और उसका भांजा नीरव मोदी वर्ष 2018 की शुरुआत में 13,000 करोड़ रुपए से अधिक के बैंक घोटाले में आरोपित हैं। नीरव मोदी को मार्च 2019 में लंदन में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी है। दोनों के खिलाफ इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो चुके हैं, और भारत सरकार लगातार इन दोनों को वापस लाने के प्रयास कर रही है।

Fugitive Of India Pic

हाल ही में भारत को एक और बड़ी सफलता मिली जब 26/11 मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया। वह लंबे समय से अमेरिकी जेल में बंद था। पाकिस्तानी मूल का यह कनाडाई नागरिक डेविड हेडली का करीबी रहा है और भारत में इसके खिलाफ आतंकवाद से जुड़े कई गंभीर आरोप हैं। फिलहाल राणा तिहाड़ जेल में बंद है।

भारत ने पिछले कुछ वर्षों में कई हाई-प्रोफाइल भगोड़ों को विदेशों से प्रत्यर्पण के जरिए वापस लाने में सफलता हासिल की है। इनमें से कुछ प्रमुख नाम हैं:

  • छोटा राजन: अंडरवर्ल्ड डॉन जिसे 2015 में इंडोनेशिया से लाया गया।

  • अबू सलेम: 1993 मुंबई बम धमाकों का आरोपी, जिसे पुर्तगाल से 2005 में भारत लाया गया।

  • क्रिश्चियन मिशेल: अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर सौदे में बिचौलिया, जिसे यूएई से लाया गया।

Vijay Malya Mehul Choksi Nirav Modi

मेहुल चोकसी और नीरव मोदी की तरह कई और आर्थिक अपराधी आज भी भारत की पकड़ से बाहर हैं:

  • विजय माल्या: 9000 करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज के मामले में आरोपी, 2016 से ब्रिटेन में।

  • ललित मोदी: पूर्व IPL कमिश्नर, कथित वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के चलते 2010 से ब्रिटेन में रह रहा है।

  • नितिन संदेसरा: 5700 करोड़ रुपए के बैंक फ्रॉड का आरोपी, जो नाइजीरिया और अल्बानिया की नागरिकता लेकर भाग गया।

  • रवि शंकरण: नेवी वॉर रूम लीक का मुख्य आरोपी, जिसका प्रत्यर्पण ब्रिटेन की अदालत ने 2014 में खारिज कर दिया था।

  • संजय भंडारी: आर्म्स डीलर और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपी, जिसे ब्रिटेन की हाईकोर्ट ने अप्रैल 2025 में राहत दे दी।

भारत और कई देशों के बीच प्रत्यर्पण संधियां होने के बावजूद न्यायिक प्रक्रियाएं लंबी और जटिल होती हैं। ब्रिटेन, जहां कई बड़े आरोपी शरण लिए हुए हैं, वहां की अदालतें मानवाधिकारों के हवाले से प्रत्यर्पण में देरी करती हैं। फिर भी भारत सरकार ने 2015 तक 60 से अधिक अपराधियों को अलग-अलग देशों से प्रत्यर्पण कर लाने में सफलता पाई है। इन देशों में यूएई, यूएसए, नाइजीरिया, कनाडा, जर्मनी, पुर्तगाल, इंडोनेशिया, थाईलैंड, बेल्जियम, सऊदी अरब और मोरक्को जैसे नाम शामिल हैं।

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