भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 19 जून को भरेंगे अंतरिक्ष की उड़ान, Axiom-4 मिशन में निभाएंगे अहम भूमिका

KNEWS DESK-  भारत के लिए एक और गौरवशाली क्षण आने वाला है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 19 जून 2025 को अंतरिक्ष के लिए रवाना होंगे। यह मिशन Axiom-4 (एक्सिओम-4) के तहत लॉन्च किया जाएगा और इसका उद्देश्य इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) तक चार अंतरिक्ष यात्रियों को भेजना है।

शुभांशु शुक्ला इस ऐतिहासिक मिशन में बतौर पायलट शामिल होंगे, जबकि मिशन की कमान नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन संभालेंगी। इस अभियान में शुभांशु के साथ पोलैंड के स्लावोज़ उज़्नानस्की-विस्निव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू भी अंतरिक्ष की यात्रा पर रवाना होंगे।

Axiom-4 मिशन की लॉन्चिंग पहले 29 मई 2025 को होनी थी, लेकिन ISS में तकनीकी लीकेज की समस्या के कारण इसे कई बार टालना पड़ा। इसके बाद 8 जून, 10 जून और फिर 11 जून को लॉन्चिंग की कोशिशें भी विफल रहीं। हालांकि अब स्पेस एक्स और नासा की तकनीकी टीमों ने सभी समस्याओं को हल कर दिया है और लॉन्चिंग की नई तारीख 19 जून को पक्की कर दी गई है।

कौन हैं शुभांशु शुक्ला?

  • शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को हुआ।

  • उन्होंने सिटी मॉन्टेसरी स्कूल, लखनऊ से स्कूली शिक्षा ली और बाद में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) में दाखिला लिया।

  • वर्ष 2006 में उन्हें भारतीय वायुसेना में कमीशन मिला।

  • वे सुखोई-30 एमकेआई, मिग-29, जगुआर और डोर्नियर-228 जैसे विमान उड़ाने में माहिर हैं, और उनके पास 2000 घंटे से अधिक का उड़ान अनुभव है।

  • उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमटेक किया है।

  • साल 2019 में शुभांशु को ISRO के गगनयान मिशन के लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्री दल में शामिल किया गया था।

शुभांशु शुक्ला भारत के पहले पायलट होंगे जो निजी स्पेस मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक जाएंगे। इससे पहले राकेश शर्मा 1984 में सोवियत संघ के साथ एक संयुक्त मिशन के तहत अंतरिक्ष गए थे। इस लिहाज से 41 साल बाद कोई भारतीय नागरिक अंतरिक्ष में कदम रखने जा रहा है।

Axiom-4 मिशन न सिर्फ भारत के लिए एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि यह निजी स्पेस कंपनियों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के नए युग की ओर भी इशारा करता है। इस मिशन से शुभांशु शुक्ला को माइक्रोग्रैविटी में अनुसंधान, अंतरिक्ष में जीवन प्रणाली और स्पेस स्टेशन संचालन का गहरा अनुभव मिलेगा, जो आगे चलकर भारत के गगनयान मिशन और दीर्घकालिक अंतरिक्ष योजनाओं के लिए अहम साबित हो सकता है।

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