नरक चतुर्दशी पर दीप जलाने से जुड़ी जरूरी बातें, न करें ये गलतियां, जानें यमदीप के नियम

KNEWS DESK- नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है, दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है और यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध कर संसार को उसके आतंक से मुक्त कराया था। साथ ही इस दिन यमराज की विशेष पूजा करके अकाल मृत्यु और पापों से मुक्ति की प्रार्थना की जाती है।

नरक चतुर्दशी 2025 की तिथि

इस वर्ष नरक चतुर्दशी का पर्व सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- रविवार, 19 अक्टूबर दोपहर 1:51 बजे

चतुर्दशी तिथि समाप्त- सोमवार, 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे

इस तिथि में यमराज को दीप अर्पण करने की परंपरा निभाई जाती है जिसे “यमदीपदान” कहा जाता है।

यमदीप जलाने के नियम और सावधानियाँ

1. दीपक की संख्या और स्थान

नरक चतुर्दशी पर घर में कम से कम 14 दीपक जलाना चाहिए। ये दीपक रसोईघर, तुलसी के पास, मुख्य द्वार, पानी के स्थान, छत आदि स्थानों पर रखें। हर दीपक से घर में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है और नकारात्मकता दूर होती है।

2. यमदीप कैसे जलाएं

यमराज के लिए मिट्टी या आटे का दीपक बनाएं।दीपक में केवल सरसों के तेल का प्रयोग करें, किसी अन्य तेल का उपयोग शास्त्रों में वर्जित माना गया है।दीपक में चार बत्तियाँ रखें, जो चारों दिशाओं में जलें – यह यमराज को प्रसन्न करने का प्रतीक है।

3. दिशा का ध्यान रखें

दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा माना गया है, इसलिए यमदीप दक्षिण दिशा में ही जलाना चाहिए।इस दिशा में दीप जलाने से परिवार के सदस्यों पर यमराज की कृपा बनी रहती है और उन्हें अकाल मृत्यु, गंभीर रोग व आपदाओं से बचाव मिलता है।

यम दीपदान से जुड़ी मान्यताएं-

ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा पूर्वक यमराज के लिए दीपक जलाता है, उसके घर में पितृ दोष समाप्त होता है और पिछले जन्मों के पापों से भी मुक्ति मिलती है।यमदीप जलाने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और मृत्यु के बाद भी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।