हिमाचल प्रदेश: मंडी के पंचवक्त्र मंदिर ने केदारनाथ मंदिर की दिलाई याद, 10 वर्ष बाद फिर हुआ चमत्कार

KNEWS DESK… हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और बाढ़ से जलप्रलय जैसा मंजर है। मंडी जिले का ऐतिहासिक पंचवक्त्र महादेव मंदिर भी इस सैलाब के आगोश में दिखा। ब्यास नदी और सुकेती खड्ड के किनारे बने इस मंदिर की तस्वीरों ने केदारनाथ की याद दिला दी। यह मंदिर केदारनाथ जैसा दिखता है। दस साल पहले जब मंदाकिनी ने रौद्र रूप धारण किया था। तब केदारनाथ मंदिर और नदी की धारा के बीच एक शिला आ गई थी और मंदिर सुरक्षित रहा था। अब हिमाचल में सैलाब से मचे हाहाकार के बीच एक बार फिर चमत्कार हुआ है। जहां एक ओर पुल, पहाड़ और बड़े-बड़े मकान धराशाई हो गए, वहीं पंचवक्त्र मंदिर पर कोई असर नहीं पड़ा है।

दरअसल आपको बता दें कि मंडी का प्रसिद्ध ऐतिहासिक पंचवक्त्र मंदिर 300 साल से ज्यादा पुराना है। इसे तत्कालीन राजा सिद्ध सेन ने  1684-1727 में बनवाया था। शिव की नगरी मंडी में निर्मित प्राचीन मंदिर एक समृद्धशाली इतिहास का साक्षी रहा है। इस मंदिर में स्थापित पंचमुखी शिव की प्रतिमा के कारण इसे पंचवक्त्र नाम दिया गया है, जोकि गुमनाम मूर्तिकार की कला का बेजोड़ नमूना है। मंदिर के निर्माण में पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर को शिखर वास्तुशिल्प के आधार पर बनाया गया है। मंडी ही नहीं पूरे हिमाचल प्रदेश में इस मंदिर की काफी मान्यता है। बताया जा रहा है कि 100 साल के बाद बाढ़ ने मंदिर के बगल स्थित सुकेती खड्ड पर बने विक्टोरिया ब्रिज को भी अपनी चपेट में ले लिया। लोगों ने कभी यहां ब्यास का ऐसा भयंकर रूप नहीं देखा था। इन सबके बीच पंचवक्त्र मंदिर को नुकसान नहीं पहुंचा है। मंदिर चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है लेकिन बाढ़ का इस पर प्रभाव नहीं पड़ा है। मंडी में अभी भी बारिश हो रही है। जो ताजा तस्वीरें सामने आई हैं, उनमें मंदिर का शिखर और उसके बगल का परिसर नजर आ रहा है।

 जलमग्न हुआ पंचवक्त्र मंदिर

मंडी को छोटी काशी कहा जाता है। जैसे काशी गंगा के किनारे बसी है, उसी तरह मंडी भी ब्यास नदी के तट पर स्थित है। रविवार सुबह यहां के पंचवक्त्र मंदिर के अंदर ब्यास नदी का पानी पहुंच गया था। शाम होते-होते मंदिर के आसपास जलप्रलय जैसे हालात हो गए। शाम छह बजे के आसपास मंदिर पूरी तरह जलमग्न हो गया। पानी मंदिर के गुंबद तक पहुंच गया।

पंचवक्त्र मंदिर की ये हैं खासियत

पंचवक्त्र मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की एक बड़ी मूर्ति है, जिसके पांच मुख हैं। मान्यता है कि यह पांच मुख शिव के अलग-अलग रूप ईशान, अघोरा, वामदेव, तत्पुरुष और रुद्र को दिखाते हैं। मंदिर का मुख्य द्वार ब्यास नदी की ओर है। इसके साथ ही दोनों तरफ द्वारपाल हैं। मंदिर में नंदी की भी एक भव्य मूर्ति है, जिसका मुख गर्भगृह की दिशा में है। पंचवक्त्र महादेव मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षित स्मारकों में है।

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