डिजिटल डेस्क- केरल हाईकोर्ट ने सबरीमला मंदिर के द्वार पैनलों पर लगी सोने की परत को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। अदालत ने पाया कि पैनलों पर सोना चढ़ाए जाने को लेकर रिकॉर्ड्स में स्पष्टता का अभाव है। 2009 में सोने की परत चढ़ाने का जिक्र मिलता है, लेकिन 2019 में पैनल सौंपते समय किसी भी दस्तावेज में सोने का उल्लेख नहीं था। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि सोने के वजन और शुद्धता को लेकर विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाए। अदालत ने साफ किया कि सोने की मात्रा और गुणवत्ता स्पष्ट किए बिना इस विवाद को खत्म नहीं किया जा सकता।
मरम्मत कार्य की अनुमति
हाईकोर्ट ने कानूनी मानदंडों के तहत पैनलों की मरम्मत को मंजूरी दे दी है। अदालत ने निर्देश दिया है कि काम पूरा होते ही पैनलों को तुरंत मंदिर में वापस कर दिया जाए। सोमवार को अदालत में सबरीमला के मुख्य सुरक्षा अधिकारी और मरम्मत कार्य कर रही कंपनी स्मार्ट क्रिएशन्स के मैनेजर पेश हुए। सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि स्ट्रांग रूम में रखे द्वारपालक मूर्तियों के दो पैनलों की अभी जांच नहीं हुई है, जिसके लिए और समय चाहिए। अदालत ने इनकी भी जांच करने और अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने का आदेश दिया। मामले पर अगली सुनवाई बुधवार को होगी।
देवस्वोम बोर्ड का पक्ष
त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (TDB) ने अदालत को बताया कि श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए सिक्कों से पैनलों को क्षति पहुंची थी। पैनलों पर दाग, गड्ढे और दरारें आ गई थीं, जिसके बाद उन्हें मरम्मत के लिए चेन्नई भेजा गया। बोर्ड ने स्पष्ट किया कि मरम्मत का खर्चा एक प्रायोजक उठा रहा है। मरम्मत का काम 9 सितंबर से शुरू हुआ था, और पैनलों के पिघलाए जाने के कारण तुरंत वापसी संभव नहीं है।