KNEWS DESK- बहराइच में हाल ही में हुई हिंसा के मामले में आरोपियों के अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की कार्रवाई फिलहाल रोक दी गई है। लखनऊ स्थित हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को 23 अक्तूबर तक जानकारी पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने उन लोगों को भी, जिन्हें अवैध निर्माण के लिए नोटिस जारी किए गए थे, 15 दिन का समय देने का निर्णय लिया है ताकि वे अपना जवाब दाखिल कर सकें।
न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने यह आदेश ‘एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स’ की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया। याचिका में कहा गया है कि 17 अक्तूबर को जारी नोटिसों को चुनौती दी गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सरकारी अमला विशेष समुदाय के निर्माणों को अवैध बताकर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कर रहा है।
राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने याचिका का विरोध किया, यह कहते हुए कि नोटिसें अतिक्रमण के आधार पर जारी की गई हैं और इन्हें जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने सरकारी वकील को अपनी आपत्तियां लिखित रूप में प्रस्तुत करने के लिए तीन दिन का समय दिया है।
कोर्ट का रुख और अगली सुनवाई
कोर्ट ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही जारी आदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार इस आदेश का पालन करने में कोई ढिलाई नहीं बरतेगी। इसके साथ ही, कोर्ट ने नोटिस प्राप्त करने वाले लोगों को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है, क्योंकि तीन दिन का समय बहुत कम है।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सड़क की श्रेणी और उससे संबंधित मानकों की जानकारी सरकार से प्राप्त करने के लिए मुख्य स्थायी अधिवक्ता को तीन दिन का समय दिया गया है। अगली सुनवाई 23 अक्तूबर को होगी।
महराजगंज में डर और सन्नाटा
महाराजगंज कस्बे में पिछले दिनों हुई हिंसा के बाद से स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। लोगों ने बुलडोजर कार्रवाई के डर से अपने-अपने व्यवसाय बंद कर दिए हैं। 13 अक्तूबर को दुर्गापूजा के दौरान हुई पत्थरबाजी और रामगोपाल मिश्रा हत्याकांड के बाद कस्बे में सन्नाटा छाया हुआ है।
मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद सहित 23 लोगों के घरों पर ध्वस्तीकरण का नोटिस चस्पा किया गया था, जिससे लोगों में हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि, हाल के दिनों में कुछ दुकानें खुलने लगी हैं, लेकिन अधिकांश स्थानों पर व्यापार ठप है। प्रशासन की ओर से अभी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे नागरिकों में असुरक्षा का माहौल बना हुआ है। इस पूरे मामले पर लगातार नजर रखी जा रही है, और आगामी सुनवाई में स्थिति और स्पष्ट होने की संभावना है।