छत्तीसगढ़ में पारंपरिक उल्लास के साथ मनाया जा रहा हरेली तिहार, लोकसंस्कृति और कृषि परंपरा का जीवंत उत्सव

KNEWS DESK- छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक आत्मा और कृषि जीवनशैली से जुड़ा प्रमुख लोकपर्व हरेली तिहार 24 जुलाई को पूरे प्रदेश में धूमधाम और पारंपरिक उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। हरियाली, खेती और लोकपरंपरा के प्रतीक इस पर्व को ग्रामीण अंचलों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक सामूहिक आस्था और उत्साह के साथ मनाया गया।

प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राजधानी स्थित मुख्यमंत्री निवास में हरेली पर्व को पारंपरिक छत्तीसगढ़ी संस्कृति के अनुरूप सजाया गया। नीम पत्तों से सजे द्वार, पारंपरिक तोरण, हरियाली, ग्रामीण शिल्पकला और सांस्कृतिक झांकियों ने आयोजन को एक जीवंत लोकउत्सव का रूप दिया।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा, “हरेली केवल खेती और हरियाली का पर्व नहीं, बल्कि यह हमारी लोकपरंपरा, सांस्कृतिक विरासत और प्रकृति से सहअस्तित्व का उत्सव है।” उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुँचाने और संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

हरेली पर्व पर पारंपरिक रूप से किसान अपने कृषि यंत्रों और औजारों की पूजा करते हैं। मुख्यमंत्री ने भी इस परंपरा का निर्वहन करते हुए पूजा-अर्चना की और धरती माता के प्रति कृतज्ञता प्रकट की। इस मौके पर पारंपरिक से लेकर आधुनिक कृषि यंत्रों की विशेष प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिससे युवाओं को छत्तीसगढ़ की कृषि परंपराओं और तकनीकी प्रगति की जानकारी मिले।

आयोजन में छत्तीसगढ़ के विभिन्न अंचलों से आए लोक कलाकारों ने गेड़ी नृत्य, राउत नाचा, और पंथी नृत्य जैसे पारंपरिक लोकनृत्यों की शानदार प्रस्तुतियाँ दीं। सावन की फुहारों के बीच पारंपरिक सावन झूला और सवनाही रामायण पाठ ने दर्शकों को लोकसंस्कृति की गहराई से परिचित कराया।

कार्यक्रम में बच्चों के लिए भी पारंपरिक खेलों की व्यवस्था की गई थी। साथ ही लोककला, हस्तशिल्प और ग्रामीण जीवन पर आधारित प्रदर्शनी भी आयोजन का अहम हिस्सा रही। इन प्रदर्शनों ने दर्शकों को छत्तीसगढ़ की जीवंत सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव कराया।

मुख्यमंत्री साय ने लोगों से आग्रह किया कि इस हरेली पर्व को वृक्षारोपण कर और भी सार्थक बनाएं। उन्होंने कहा कि “हरेली केवल एक परंपरा नहीं, यह पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी का प्रतीक भी बनना चाहिए। धरती माता के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के साथ हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हराभरा भविष्य भी सुनिश्चित करना है।”