KNEWS DESK- भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अपने 18 दिन के अंतरिक्ष प्रवास के अनुभव साझा करते हुए कहा कि अंतरिक्ष में जीवन बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण होता है। लखनऊ के लोकभवन में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में बोलते हुए उन्होंने बताया कि स्पेस स्टेशन पर पहुंचने के बाद शरीर माइक्रोग्रेविटी (सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण) का अनुभव करता है, जिससे शरीर में कई तरह के शारीरिक और जैविक परिवर्तन आते हैं।
ग्रुप कैप्टन शुभांशु ने बताया, “जब आप पहली बार स्पेस स्टेशन पर पहुंचते हैं, तो शरीर का पूरा खून सिर की ओर चला जाता है। इससे सिर बड़ा महसूस होता है, और हृदय की धड़कन धीमी हो जाती है, क्योंकि उसे गुरुत्वाकर्षण के विपरीत काम करने की आदत नहीं होती।”
उन्होंने यह भी बताया कि अंतरिक्ष में हर पल खुद को जीवित रखना एक चुनौती है। लेकिन मानव इंजीनियरिंग की सफलता ही है कि वहां जीवन संभव हो पाया है।
शुभांशु शुक्ला ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि अब भारत भी इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “जब भारत अपना पहला मानव मिशन लॉन्च करेगा, तो हम दुनिया के उन चार देशों में शामिल होंगे, जिनके पास यह क्षमता होगी।”
उन्होंने लखनऊ को लेकर भी आभार जताया और कहा कि यह शहर उनका संवेग है, जो उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
इस अवसर पर उपस्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष वी. नारायणन ने उत्तर प्रदेश के विकास कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश जिस गति से आगे बढ़ रहा है, वह अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।”
उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में भारत ने स्पेस टेक्नोलॉजी में अभूतपूर्व सफलताएं हासिल की हैं, जिससे अंतरिक्ष में भारत की स्थिति और भी मजबूत हुई है।
कार्यक्रम में मौजूद उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने शुभांशु शुक्ला को बधाई देते हुए कहा, “शुभांशु का लखनऊ से होना हमारे लिए गौरव की बात है। वह देश के तिरंगे को अंतरिक्ष तक ले गए हैं। हम उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।”
वहीं उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने उनके अनुभव को चिकित्सा शोध के लिए अनमोल बताया। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर में जो बदलाव होते हैं, उनसे चिकित्सा क्षेत्र में नई तकनीकों और उपचार पद्धतियों का विकास संभव है।
“प्रदेश के चिकित्सा संस्थान इन अनुभवों और तकनीकों का अध्ययन कर चिकित्सा क्षेत्र को नई दिशा दे सकते हैं,” उन्होंने कहा।