दिल्ली में दो दिवसीय अखिल भारतीय स्पीकर्स सम्मेलन की भव्य शुरुआत, लोकतंत्र को सशक्त बनाने पर होगा मंथन

KNEWS DESK- देश भर की विधानसभाओं और विधान परिषदों के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय स्पीकर्स सम्मेलन में भाग लेने के लिए एकत्रित हो चुके हैं। रविवार से शुरू हो रहे इस दो दिवसीय सम्मेलन की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इसका उद्देश्य भारतीय लोकतंत्र की संस्थागत परंपराओं को सुदृढ़ करना और शासन में जवाबदेही को और प्रभावी बनाना है।

दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सम्मेलन स्थल का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं की समीक्षा की। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में न केवल विधायी कार्यों की गुणवत्ता पर चर्चा होगी, बल्कि पारदर्शिता, जन सहभागिता और तकनीकी नवाचार जैसे विषयों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।

सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे। इस मौके पर वे “विठ्ठलभाई पटेल की गौरव गाथा” नामक एक विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन भी करेंगे। यह प्रदर्शनी भारत की संसद के पहले निर्वाचित अध्यक्ष विठ्ठलभाई पटेल के जीवन, उनके योगदान और भारतीय संसदीय संस्थाओं के विकास को समर्पित है। इसमें दुर्लभ चित्रों और ऐतिहासिक दस्तावेजों को प्रदर्शित किया जाएगा।

इस सम्मेलन में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, किरेन रिजिजू और लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार समेत कई वरिष्ठ नेता भाग ले रहे हैं। सभी मेहमानों को राज्य अतिथि का दर्जा दिया गया है और उनके ठहरने के लिए दिल्ली के प्रमुख होटलों में विशेष व्यवस्था की गई है। हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशनों से आने-जाने के लिए भी विशेष प्रबंध किए गए हैं।

सम्मेलन की पूर्व संध्या पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने एक भव्य रात्रिभोज का आयोजन किया, जिसमें देश भर से आए विधानसभाओं और विधान परिषदों के अध्यक्षों, उपाध्यक्षों और सभापतियों का गर्मजोशी से स्वागत किया गया।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा, “यह सम्मेलन भारत की संसदीय परंपराओं के विकास की यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। विट्ठलभाई पटेल द्वारा केंद्रीय विधान सभा के प्रथम निर्वाचित अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण करने की ऐतिहासिक शताब्दी के अवसर पर इसका आयोजन, दिल्ली के लिए गर्व और जिम्मेदारी दोनों है।”

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य विधानसभाएं लोकतंत्र की “नर्सरी” हैं, जहां जनता की आकांक्षाएं और अपेक्षाएं सीधे रूप से अभिव्यक्त होती हैं। ऐसे में यह सम्मेलन उन विचारों का मंच बनेगा जो देश की विधायी प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी, प्रभावी और जन-केंद्रित बना सकते हैं।

सम्मेलन के दौरान भारत की “विविधता में एकता” को दर्शाते हुए सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी आयोजित की जाएंगी, जो देश के विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक विरासत और लोकतांत्रिक मूल्य प्रणाली को उजागर करेंगी।