KNEWS DESK- गंगा नदी ने काशी में शनिवार देर रात खतरे का निशान पार कर लिया, जिससे पूरे शहर में बाढ़ की आशंका गहराने लगी है। केन-बेतवा और यमुना में उफान के कारण गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, रात 12 बजे गंगा का जलस्तर 71.31 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान 71.26 मीटर से ऊपर है।
गंगा का जलस्तर प्रति घंटे तीन सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है। यदि यही स्थिति बनी रही, तो 1978 जैसी बाढ़ की पुनरावृत्ति संभव है, जब 7 सितंबर 1978 को जलस्तर 73.9 मीटर तक पहुंच गया था। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि बारिश का सिलसिला नहीं थमा और पानी का बहाव जारी रहा, तो आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है।
बढ़ते जलस्तर का असर केवल गंगा तक सीमित नहीं है। वरुणा और असि नदियों में भी पलटप्रवाह से बाढ़ का पानी शहरी और ग्रामीण आबादी वाले इलाकों में घुसने लगा है। मणिकर्णिका घाट की गलियों में नावें चलने लगी हैं, जबकि अस्सी घाट के आसपास की सड़कों पर पानी भर गया है। कई निचले इलाकों और गांवों में घरों में पानी घुसने की खबरें आ रही हैं।
कानपुर के गंगा बैराज से शनिवार को 1.5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है और रविवार को और 1.30 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने की योजना है। यह पानी पांच से सात दिनों में प्रयागराज होते हुए वाराणसी पहुंचेगा, जिससे जलस्तर और अधिक बढ़ने की आशंका है।
केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, गंगा ने 2022, 2023 और 2024 में भी खतरे का निशान पार किया था, लेकिन उन वर्षों में जलस्तर की वृद्धि दर अपेक्षाकृत कम थी। इस बार 3 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ता जलस्तर प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। रविवार सुबह 9 बजे तक जलस्तर 71.71 मीटर तक पहुंचने का अनुमान है।
प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य शुरू कर दिए हैं। निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है। बाढ़ राहत शिविर तैयार किए जा रहे हैं और एनडीआरएफ की टीमों को भी सतर्क कर दिया गया है। नगर निगम और आपदा प्रबंधन विभाग ने जनता से अपील की है कि वे अफवाहों से बचें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।