KNEWS DESK- 2 अक्टूबर यानि आज महात्मा गांधी की 154वीं जयंती है और आज के इस दिन को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। महात्मा गांधी ने अपनी पूरी जिंदगी लोगों से अहिंसा को बढ़ावा देने को कहा। उन्होंने जीवनभर में जो काम किए उनकी सिर्फ भारत में ही नहीं दूसरे देशों में तक में चर्चा होती है इसलिए 2 अक्टूबर को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
गांधी जी का पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी था, जिन्हें प्यार से लोग बापू कहकर बुलाते थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जयंती पर सरकारी छुट्टी रहती है और सभी स्कूल-कॉलेज, प्राइवेट और सरकारी कार्यालय बंद रहते हैं। राजनीतिक दलों के कार्यालयों में इस दिन विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों से लेकर राजनीतिक दलों के तमाम नेता राजघाट पर उनकी समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। गांधी जी को महात्मा, बापू और राष्ट्रपिता जैसे नामों से भी पुकारा जाता है।
अहिंसा को दिया बढ़ावा
महात्मा गांधी ने वैसे तो देश के लिए हजारों काम किए, लेकिन उनका सबसे ज्यादा फोकस अहिंसा को बढ़ावा देने पर रहा। 2 अक्टूबर को दिन पूरे विश्व में गांधी जी की याद में अंतरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
पांच बार नोबेल पुरस्कार के लिए किया गया नोमिनेट
महात्मा गांधी को पांच बार नोबेल पुरस्कार के लिए नोमिनेट किया गया लेकिन उन्हें कभी यह अवॉर्ड नहीं मिला। विदेशों तक जाकर लोगों को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले महात्मा गांधी बचपन में काफी शांत स्वभाव के थे, लोगों से ज्यादा बात नहीं करते थे।
किसान ने दिया था बापू
साल 1930 में महात्मा गांधी को टाइम्स मैगजीन के ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ में शामिल किया गया था। गांधी जी को बापू नाम बिहार के चंपारण जिले के एक किसान ने दिया था। बापू ने बिहार के चंपारण में निलहा अंग्रेजों द्वारा किसानों पर किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई थी।
चंपारण से हुई शुरू हुई लड़ाई
गांधी जी ने भारतीयों पर अंग्रेजों के जुल्मों-सितम से बचाने की लड़ाई बिहार के चंपारण से ही शुरू की थी। ब्रह्मचर्य अपनाने से पहले महात्मा गांधी के चार बेटे थे। महात्मा गांधी की शादी सिर्फ 14 साल की उम्र में ही हो गई थी और उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था।
अछूत और निचली जाति के लोगों के लिए लड़ी लड़ाई
महात्मा गांधी ने अछूत और निचली जाति के लोगों के लिए भी लड़ाई लड़ी और वह इन लोगों को ‘हरिजन’ कहकर बुलाते थे, जिसका मतलब ‘भगवान के बच्चे’ होता है।