पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का लंबी बीमारी के बाद दुबई (Dubai) के एक अस्पताल में रविवार को निधन हो गया. पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से ये खबर सामने आई है.
मीडिया रिपोर्ट्स में मुशर्रफ के परिजनों के हवाले कहा गया है कि उन्होंने एमाइलॉयडोसिस के कारण आज दम तोड़ दिया. उन्हें कुछ हफ्तों के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. 1999 में सफल सैन्य तख्तापलट के बाद परवेज मुशर्रफ दक्षिण एशियाई राष्ट्र के दसवें राष्ट्रपति थे.
उन्होंने 1998 से 2001 तक 10वें CJCSC और 1998 से 2007 तक 7वें शीर्ष जनरल के रूप में कार्य किया.
काफी समय से थे बीमार
एमाॅइलायोडिसस की शिकायत के बाद मुशर्रफ को पिछले साल 10 जून को संयुक्त अरब अमीरात के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जो धीरे धारे मल्टी आर्गन फेल्योर में बदल गया. उन्हें पिछले साल जून में वेंटिलेटर पर रखा गया था.
परवेज मुशर्रफ का जन्म दरियागंज नई दिल्ली में 11 अगस्त 1943 को हुआ था. 1947 में उनके परिवार ने पाकिस्तान जाने का फैसला किया. विभाजन के महज कुछ दिन पहले उनका पूरा परिवार पाकिस्तान पहुँचा था. उनके पिता सईद ने नए पाकिस्तान सरकार के लिये काम करना शुरु किया और विदेश मंत्रालय के साथ जुड़े.
पाकिस्तान, तुर्की
पिता का तबादला पाकिस्तान से तुर्की हुआ, 1949 में ये तुर्की चले गए. कुछ समय यह अपने परिवार के साथ तुर्की में रहे, वहीं उन्होंने तुर्की भाषा बोलनी भी सीखी. मुशर्रफ अपने युवा काल में खिलाड़ी भी रहे हैं. 1957 में इनका पूरा परिवार फिर पाकिस्तान लौट आया. इनकी स्कूली शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक स्कूल में हुई और कॉलेज की पढ़ाई लहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज में हुई.
फांसी की सजा
आपको बता दें कि परवेज मुशर्रफ वह शख्स हैं जिन्हें कि पाकिस्तान में फांसी की सजा सुनाई गई थी. पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार पेशावर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता में विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने ऐसी सजा सुनाई गई थी.
पाकिस्तान में 3 नवंबर, 2007 को इमरजेंसी लगाने और और दिसंबर 2007 के मध्य तक संविधान को निलंबित करने के जुर्म में परवेज मुशर्रफ पर दिसंबर 2013 में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. मुशर्रफ को 31 मार्च, 2014 को दोषी ठहराया गया था. 79 वर्षीय मुशर्रफ ने 1999 से 2008 तक पाकिस्तान पर शासन किया था. मुशर्रफ मार्च 2016 से दुबई में रह रहे थे.