KNEWS DESK- कर्नाटक के पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने अपने समर्थकों की बढ़ती मांग के बीच एक नई राजनीतिक पार्टी शुरू करने का संकेत दिया है। यतनाल ने कहा कि अंतिम निर्णय जनता की भावना के आधार पर लिया जाएगा, और उन्होंने यह भी खुलासा किया कि पार्टी का ऐलान विजयादशमी के मौके पर किया जा सकता है।
यतनाल ने स्पष्ट किया कि उनका विरोध भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नहीं है, बल्कि वह वरिष्ठ भाजपा नेताओं बीएस येदियुरप्पा और उनके बेटे, राज्य भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र के खिलाफ नाराजगी जताते हैं। यतनाल ने आरोप लगाया कि येदियुरप्पा परिवार हिंदुत्व के असली पैरोकारों को दरकिनार कर राजनीतिक समायोजन की राजनीति कर रहा है, जिसमें कांग्रेस के नेता सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के साथ भी गठबंधन की संभावना है।
हाल ही में यतनाल को बीजेपी से अनुशासनहीनता के आरोपों के तहत छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था। पार्टी के अनुशासन पैनल ने उन्हें कई बार चेतावनी दी थी, लेकिन उन्होंने पार्टी के नियमों का उल्लंघन करना जारी रखा।
इस निष्कासन पर प्रतिक्रिया देते हुए यतनाल ने कहा कि उन्होंने कभी भी पार्टी की विचारधारा के खिलाफ कोई काम नहीं किया और न ही किसी विपक्षी दल का समर्थन किया। उन्होंने आरोपों को खारिज करते हुए बीजेपी पर ही सवाल उठाए।
यतनाल ने बीजेपी को चेतावनी दी कि अगर येदियुरप्पा परिवार का नियंत्रण पार्टी पर बना रहा, तो भाजपा को चुनावी झटकों का सामना करना पड़ सकता है। उनके अनुसार, कर्नाटक में कई हिंदू मौजूदा बीजेपी नेतृत्व के तहत असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, जिससे एक वैकल्पिक राजनीतिक ताकत की मांग बढ़ रही है।
यतनाल ने कहा, “अगर जनता की राय किसी नई पार्टी के पक्ष में है, तो हम उसे लॉन्च करने के लिए तैयार हैं। यदि लोग नई पार्टी चाहते हैं, तो हम विजयादशमी पर इसकी स्थापना करेंगे।”
यतनाल के इस बयान से कर्नाटक के राजनीतिक परिदृश्य में बड़े बदलाव की संभावना जताई जा रही है। अगर वे नई पार्टी बनाते हैं, तो यह बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए चुनौती बन सकती है, खासकर जब हिंदुत्व के मुद्दे पर कर्नाटक में राजनीतिक गतिशीलता तेज हो रही है।
क्या यतनाल की नई पार्टी कर्नाटक में एक नई राजनीतिक शक्ति बन सकेगी? या यह सिर्फ एक राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति है? इसका जवाब समय ही देगा, लेकिन यह निश्चित है कि कर्नाटक की राजनीति में जल्द ही कुछ नया देखने को मिल सकता है।
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