KNEWS DESK- उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश और नदियों के जलस्तर में तेजी से हुई वृद्धि ने बाढ़ जैसी भयावह स्थिति उत्पन्न कर दी है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को एक बयान जारी कर प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के 22 जिलों में बाढ़ का कहर चरम पर है, लेकिन सरकार की तरफ से कोई ठोस प्रबंधन नजर नहीं आ रहा है।
अखिलेश यादव ने कहा कि गंगा, यमुना, राप्ती, सरयू और घाघरा जैसी प्रमुख नदियां उफान पर हैं। बाढ़ की चपेट में आकर कई लोगों की जान जा चुकी है। उन्होंने बताया कि कई गांव और शहरी इलाके मुख्य सड़कों से कट गए हैं और लोग खाद्य सामग्री, पानी, बिजली और स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में कठिनाइयों से जूझ रहे हैं।
“पशुओं की स्थिति और भी खराब है। उनका चारा और इलाज दोनों ही ठप हैं,” – अखिलेश यादव
अखिलेश यादव ने उरई की स्थिति पर चिंता जताते हुए बताया कि वहां की सड़कें पानी में डूबी हुई हैं और कई घरों की पहली मंजिल तक पानी भर चुका है, जिससे लोग बेघर हो गए हैं। प्रयागराज में स्थित 80 हजार प्रतियोगी छात्र बाढ़ के कारण अपने लॉज और कमरे छोड़कर चले गए हैं, जबकि 400 से अधिक लाइब्रेरियां बंद हो चुकी हैं।
लखनऊ में भी भारी बारिश और जलभराव से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। खेतों में बाजरा, दलहन और अन्य फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है, जिससे किसान संकट में हैं।
राजधानी लखनऊ से एयरपोर्ट तक की सड़क की बदतर हालत का जिक्र करते हुए अखिलेश ने कहा कि सरकार ने सड़कों के गड्ढे भरने के लिए बड़ी रकम खर्च करने का दावा किया था, लेकिन यह बजट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। जगह-जगह गड्ढों से वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं और यातायात जाम की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
अखिलेश यादव ने बाढ़ राहत कार्यों में प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा,
“बाढ़ पीड़ितों को भोजन, पानी, दवा की व्यवस्था करना प्रशासन की जिम्मेदारी है, लेकिन ऐसा लगता है कि पूरी सरकार मठ में विश्राम करने चली गई है।” उन्होंने सरकार से तत्काल बाढ़ राहत कैंप, चिकित्सा शिविर, पशुचारा वितरण और सड़क मरम्मत कार्यों को शुरू करने की मांग की है।