डिजिटल डेस्क- इथियोपिया के हेयली गुब्बी ज्वालामुखी से उठी राख का विशाल गुबार अब भारत तक पहुंच चुका है, जिसके असर से देश की कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें प्रभावित हो गई हैं। हजारों फीट की ऊंचाई पर फैले इस राख बादल को देखते हुए DGCA ने सभी एयरलाइंस को सतर्क रहने और उड़ान संचालन में सावधानी बरतने के निर्देश जारी किए हैं। एविएशन नियामक संस्था DGCA ने स्पष्ट किया है कि एयरलाइंस उन मार्गों से उड़ान न भरें जहां वॉल्कैनिक ऐश मौजूद है। पायलटों को सलाह दी गई है कि यदि विमान को रास्ते में कहीं राख मिले तो तुरंत इसकी रिपोर्ट करें। राख के कारण दृश्यता और इंजन सुरक्षा पर खतरा बना रहता है, इसलिए फ्लाइट रूट में बदलाव अनिवार्य किया गया है।
राख का रास्ता भारत में प्रवेश
मौसमी एजेंसियों के अनुसार, ज्वालामुखी से निकला यह राख गुबार जोधपुर और जैसलमेर की दिशा से भारत में प्रवेश कर चुका है और अब उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ रहा है। वर्तमान में यह राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और कुछ हिस्सों में फैल चुका है। इसका थोड़ा प्रभाव गुजरात पर भी देखने को मिल सकता है। देर रात तक यह पंजाब और हिमालयी क्षेत्रों के ऊपर भी पहुंचने की आशंका है। हालांकि इसका असर जमीन पर रहने वाले नागरिकों पर बहुत कम होगा, क्योंकि राख का बादल 15,000 से 45,000 फीट की ऊंचाई पर है। लेकिन आसमान सामान्य से अधिक धुंधला दिख सकता है और हवा की गुणवत्ता पर थोड़ी गिरावट संभव है।
उड़ानों पर असर
राख के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए कई एयरलाइंस ने अपनी उड़ानें रद्द कर दी हैं। अकаса एयर ने 24 और 25 नवंबर को जेद्दा, कुवैत और अबू धाबी के लिए आने-जाने वाली फ्लाइट्स रद्द करने की घोषणा की है। KLM रॉयल डच एयरलाइंस ने भी एम्स्टर्डम-दिल्ली (KL 871) और दिल्ली-एम्स्टर्डम (KL 872) उड़ानें रद्द की हैं। इंडिगो ने भी यात्रियों को X पर सूचित करते हुए कहा है कि ज्वालामुखी की राख पश्चिमी भारत की ओर बढ़ रही है और कंपनी यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।