ईद-उल-फितर 2025: संभल में सांसद बर्क समेत हजारों मुस्लिम पहुंचे ईदगाह, कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच नमाज की अदा

KNEWS DESK-  रमजान के पावन महीने की समाप्ति के साथ आज, 31 मार्च 2025 को देशभर में ईद-उल-फितर का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। मुसलमानों ने अपने-अपने इलाकों की मस्जिदों और ईदगाहों में एकत्र होकर ईद की विशेष नमाज अदा की। इस पावन अवसर पर गले मिलकर एक-दूसरे को बधाई देने और भाईचारे की भावना को बढ़ाने का सिलसिला भी देखा गया।

देश के प्रमुख शहरों जैसे लखनऊ, मेरठ, प्रयागराज और संभल में ईद के मौके पर जश्न का माहौल बना रहा। सभी ने ईद की नमाज अदा की और अमन, शांति, और भाईचारे के लिए दुआएं कीं। उत्तर प्रदेश के संभल में ईदगाह के बाहर भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी और पैरामिलिट्री बलों की तैनाती की गई ताकि त्योहार शांतिपूर्ण तरीके से मनाया जा सके।

संभल के सांसद जियाउर रहमान बर्क समेत हजारों मुसलमानों ने ईद की नमाज अदा की। नमाज के बाद उन्होंने दुआ की कि संभल में पहले जैसी हिंसा फिर कभी न हो, हिंदू-मुस्लिम के बीच भाईचारा बना रहे, और पूरे क्षेत्र में अमन और शांति स्थापित हो।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आह्वान पर कुछ जगहों पर वक्फ संशोधन बिल के विरोध में काली पट्टी बांधकर नमाज अदा की गई। यह विरोध शांति और भाईचारे के त्योहार के बीच एक राजनीतिक संकेत था।

  • विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश): इंदिरा गांधी स्टेडियम में मुसलमानों ने काली पट्टी बांधकर ईद की नमाज अदा की।

  • मध्य प्रदेश: वक्फ बिल के खिलाफ कई स्थानों पर इसी तरह का विरोध देखा गया।

हालांकि, संभल में मुसलमानों ने काली पट्टी नहीं पहनी, क्योंकि उन्होंने ईद के इस खास मौके पर नए कपड़े पहनने की परंपरा को महत्व दिया।

संभल के सांसद जियाउर रहमान बर्क ने ईद की नमाज के बाद कहा कि उन्होंने दुआ की कि जो भी बेगुनाह लोग गिरफ्तार किए गए हैं, उनकी जल्द से जल्द रिहाई हो। उन्होंने यह भी कहा कि संभल में हमेशा के लिए शांति बनी रहे।

उत्तर प्रदेश के संभल, मेरठ, लखनऊ और प्रयागराज जैसे प्रमुख शहरों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। पुलिस और पैरामिलिट्री बलों ने पूरे क्षेत्र में गश्त की और किसी भी अनहोनी को रोकने के लिए सतर्कता बरती।

ईद-उल-फितर का यह त्योहार न केवल रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति का प्रतीक है, बल्कि यह भाईचारे, शांति और सामाजिक एकता का भी संदेश देता है। इस साल का ईद जश्न भले ही विरोध के रंगों से रंगा रहा हो, लेकिन अमन और भाईचारे की भावना देशभर में जीवित रही।

अब यह देखना बाकी है कि वक्फ बिल पर उठ रही आवाजें आगे किस प्रकार के राजनीतिक और सामाजिक बदलाव लाती हैं। लेकिन ईद का यह त्योहार हमेशा की तरह एकता और प्रेम का प्रतीक बना रहा।

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