डिजिटल डेस्क- देशभर में निवेशकों से अरबों रुपये की ठगी करने वाले OctaFX फॉरेक्स फ्रॉड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है। जांच एजेंसी ने 2,385 करोड़ रुपये मूल्य की क्रिप्टो संपत्तियां जब्त की हैं। वहीं, इस घोटाले के मास्टरमाइंड पावेल प्रोजोरोव (Pavel Prozorov) को स्पेन की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पावेल पर कई देशों में साइबर फ्रॉड और फॉरेक्स ट्रेडिंग घोटालों में शामिल होने के आरोप हैं। ईडी की यह जांच पुणे के शिवाजीनगर पुलिस स्टेशन में दर्ज एक FIR से शुरू हुई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कुछ लोगों ने OctaFX नाम से विदेशी मुद्रा (Forex) में निवेश कराने का झांसा देकर भारी रकम ठगी। यह कंपनी बिना भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मंजूरी के भारत में फॉरेक्स ट्रेडिंग कर रही थी, जो नियमों का उल्लंघन है।
जांच में हुआ खुलासा
जांच में खुलासा हुआ कि जुलाई 2022 से अप्रैल 2023 के बीच OctaFX ने भारतीय निवेशकों से करीब 1,875 करोड़ रुपये ठगे और लगभग 800 करोड़ रुपये का अवैध मुनाफा कमाया। इतना ही नहीं, 2019 से 2024 के बीच कंपनी ने भारत से करीब 5,000 करोड़ रुपये का फायदा उठाया, जिसमें से अधिकांश रकम विदेश भेज दी गई।
कई देशों में बनाई फर्जी कंपनियां
ईडी की जांच में सामने आया कि OctaFX ने अपनी गतिविधियों को छिपाने के लिए कई देशों में फर्जी कंपनियां बनाई थीं। इनमें ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स से मार्केटिंग, स्पेन से सर्वर और बैक-ऑफिस ऑपरेशन, एस्टोनिया से पेमेंट गेटवे, जॉर्जिया से तकनीकी सपोर्ट, साइप्रस में होल्डिंग कंपनी, दुबई से भारतीय ऑपरेशन और सिंगापुर से फर्जी सेवाओं के नाम पर मनी ट्रांसफर किया जा रहा था।
पहले देते थे छोटा मुनाफा, फिर करते थे गेम
निवेशकों को फंसाने के लिए OctaFX पहले छोटे मुनाफे देकर भरोसा जीतता था, फिर फर्जी ट्रेडिंग चार्ट और तकनीकी त्रुटियों का हवाला देकर निवेशकों को भारी नुकसान दिखाता था। कंपनी ने Introducing Broker (IB) स्कीम चलाई थी, जिसके तहत लोगों को दूसरों को जोड़ने पर कमीशन दिया जाता था — यह तरीका पॉन्ज़ी स्कीम जैसा ही था।
यूपीआई के माध्यम से होता था लेनदेन
ईडी ने बताया कि निवेशकों से पैसा UPI और बैंक ट्रांसफर के माध्यम से लिया जाता था, जिसे बाद में डमी कंपनियों के खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता था। वहां से अवैध चैनलों के जरिये यह रकम ई-कॉमर्स ट्रांजेक्शन या सॉफ्टवेयर सेवाओं के इंपोर्ट के नाम पर विदेश भेजी जाती थी। ये सभी विदेशी कंपनियां वास्तव में मास्टरमाइंड पावेल प्रोजोरोव के नियंत्रण में थीं।