तुर्की और सीरिया में सोमवार को भूकंप के तीन बड़े झटके महसूस किए गए. मंगलवार को भी तुर्की में सुबह फिर एक भूकंप का झटका महसूस किया गया. भूकंप की वजह से अब तक 4500 से ज्यादा लोगों की मरने की खबर सामने आ रही है. भूकंप की वजह से करीब 5000 इमारते तबाह हो चुकी है. इस मुश्किल समय में भारत ने तुर्की की मदद के लिए अपने हाथ आगे बढाए है.
तुर्की में भूकंप की वजह से मरने वालों की संख्या लगतार बढ़ती जा रही है. अब तक जो आकंड़े सामने आए है उसके हिसाब से करीब 4500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. ये आकंड़ा अभी थमा नही है. ये भी ओर बढ़ सकता है.
मंगलवार सुबह भी तुर्की में 5.9 की तीव्रता का भूकंप आया. इससे पहले सोमवार को भूकंप के तीन झटके महसूस किए गए थे. सोमवार को पहला भूकंप सुबह 4 बजकर 17 मिनट पर आया. इसकी तीव्रता 7.8 थी. ये भूकंप तुर्की के दक्षिण में सीरिया बॉर्डर के पास आया था. इसके बाद 7.6 और 6 की तीव्रता के दो और भूकंप आए.
भूकंप की वजह से तुर्की में हजारों इमारतें ताश के पत्तों की तरह धाराशाही होकर गिर गईं. तुर्की प्रशासन का कहना है कि अब तक साढ़े पांच हजार से ज्यादा इमारतें ढह चुकीं हैं. तबाही का यही मंजर सीरिया में भी देखने को मिला है.
इस मुश्किल की घड़ी में तुर्की को भारत का साथ भी मिला है. भारत की ओर से एनडीआरएफ की रेस्क्यू टीम, दवाएं और मेडिकल टीम का पहला जत्था तुर्की के लिए रवाना हो चुका है. वायुसेना के विमानों से राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है.
तुर्की और भारत की दोस्ती है पुरानी
भारत और तुर्की के बीच 1948 से डिप्लोमैटिक रिलेशन हैं. हालांकि, कोल्ड वॉर के समय दोनों देशों में थोड़ी दूरी आ गई थी. 1965 और 1971 की जंग के वक्त तुर्की ने पाकिस्तान की मदद की थी. इससे भारत और तुर्की दूरियां और बढ़ गईं. 1984 में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और तुर्की में फिर से नजदीकियां बढ़ गईं.हालांकि, भारत और तुर्की के रिश्ते बेहद उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं, खासकर कश्मीर के मुद्दे पर. तीन साल पहले पाकिस्तानी संसद में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयब एर्दोगान ने कहा था, कश्मीर पाकिस्तान के लिए जितना अहम है, उतना ही तुर्की के लिए भी है. संयुक्त राष्ट्र में भी तुर्की कई बार कश्मीर का मुद्दा उठा चुका है.5 अगस्त 2019 को जब कश्मीर से धारा 370 हटाई गई थी, तब तुर्की ने बयान जारी कर कहा था कि भारत का ये कदम मौजूदा तनाव को और बढ़ा सकता है.
तुर्की में रहते है कितने भारतीय
दुनिया के बाकी देशों की तुलना में तुर्की में रहने वाले भारतीयों की संख्या काफी कम है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 2022 तक तुर्की में 1,708 भारतीय रहते हैं. इनके अलावा तुर्की के शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले भारतीयों की संख्या भी कम है. विदेश मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि तुर्की में महज 193 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. हालांकि, भारतीय पर्यटकों के लिए तुर्की मनपसंद जगह है. कोविड की पाबंदियां हटने के बाद तुर्की घूमने वाले भारतीयों की संख्या भी बढ़ गई थी. पिछले साल जून में 27,300 भारतीय तुर्की घूमने गए थे. ये तुर्की घूमने वाले भारतीयों की रिकॉर्ड संख्या थी.
भारत और तुर्की के कैसे है करोबारी रिश्ते
भारत और तुर्की के बीच कारोबार थोड़ा असंतुलित रहता है. यानी, भारत बेचता ज्यादा है और खरीदता कम है. तुर्की को इससे थोड़ी समस्या रहती है. हालांकि, हालिया कुछ सालों में भारत और तुर्की के बीच कारोबार बढ़ा है. भारत की ओर से तुर्की को मीडियम ऑयल और ईंधन, कृत्रिम रेशे, प्राकृतिक रेशे, ऑटोमोटिव कल-पुर्जे, साजोसामान और ऑर्गेनिक कैमिकल दिया जाता है. जबकि, तुर्की से भारत को खसखस, मशीनर, इंजीनियरिंग उपकरण, लोहे और स्टील की चीजें, अकार्बनिक रसायन, मोती, जवाहरात और संगमरमर मिलता है. मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक, 2021-22 में भारत और तुर्की के बीच करीब 80 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था. इसमें से 65 हजार करोड़ का निर्यात और 15 हजार करोड़ का आयात हुआ था.