KNEWS DESK – दशहरा का पर्व हर साल आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है, जिसमें भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था। साथ ही, विजयदशमी का पर्व मां दुर्गा से भी जुड़ा है, जब उन्होंने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इस दिन देशभर में रावण दहन की परंपरा है, जिसमें रावण के पुतले को जलाया जाता है। यह नकारात्मकता के प्रतीक रावण के अंत का संकेत है और इसके साथ ही जीवन में सकारात्मकता की स्थापना का संदेश देता है। अयोध्या में इस दिन भगवान श्री राम की पूजा की जाती थी, और तब से यह परंपरा हर वर्ष जारी है।
इस वर्ष का विशेष संदर्भ
इस वर्ष अष्टमी और नवमी एक ही दिन मनाई जा रही हैं, जिससे लोगों में दशहरा तिथि को लेकर कुछ दुविधा है। लेकिन सही जानकारी के अनुसार, दशहरा 12 अक्टूबर 2024, शनिवार को मनाया जाएगा।
रावण दहन का समय
वेदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 12 अक्टूबर को सुबह 10:55 बजे से शुरू होगी और इसका समापन 13 अक्टूबर को सुबह 09:10 बजे होगा। इस दिन रावण दहन का आयोजन शाम 05:50 बजे से 07:25 बजे के बीच किया जाएगा, जब श्रवण नक्षत्र का प्रभाव भी रहेगा।
शस्त्र पूजा का समय
दशहरे के दिन शस्त्र पूजा का महत्व भी बहुत अधिक है। इसे दोपहर 02:04 बजे से 02:50 बजे के बीच किया जा सकेगा। यह पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने कार्यक्षेत्र में आगे बढ़ने की कामना रखते हैं।
रावण दहन का महत्व
रावण दहन का पर्व त्रेतायुग की एक महत्वपूर्ण घटना का स्मरण दिलाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था और धर्म की पुनर्स्थापना की थी। इसके अलावा, इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था, जो बुराई का प्रतीक था।
रावण को नकारात्मक शक्तियों का प्रतीक माना जाता है। रावण का पुतला जलाकर मनुष्यों की नकारात्मकताओं को समाप्त करने की प्रार्थना की जाती है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर विजय प्राप्त करती है, और हमें अपने जीवन में सच्चाई और धर्म का पालन करना चाहिए।