KNEWS DESK- लोकसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई में निरंतर बढ़ती अंदरूनी कलह ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। चुनावी हार के बाद से पार्टी में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है और संगठन की स्थिति को लेकर गहन मंथन भी हुआ है। इस बीच, उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाल ही में हुई मुलाकात ने इस विवाद को और तूल दे दिया है।
केशव मौर्य की पीएम मोदी से मुलाकात
सूत्रों के अनुसार, डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने 11 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस बैठक में केशव मौर्य ने यूपी में बीजेपी के मौजूदा हालात पर विस्तृत जानकारी दी और लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के कारणों पर भी चर्चा की। केशव मौर्य ने पीएम मोदी को बताया कि कैसे संगठन और सरकार के बीच सामंजस्य की कमी ने पार्टी की स्थिति को प्रभावित किया। उनकी इस मुलाकात के बाद से पार्टी के अंदरूनी विवादों की गूंज और भी तेज हो गई है।
भूपेंद्र चौधरी की भी मुलाकात
इससे पहले, यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी। भूपेंद्र चौधरी ने प्रधानमंत्री को यूपी की जमीनी स्थिति और लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के कारणों की जानकारी दी थी। इसके अतिरिक्त, संसद सत्र के दौरान यूपी से जुड़े कई नेताओं ने भी पीएम से मुलाकात की और स्थिति पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इनमें पूर्व सांसद संजीव बालयान, साध्वी निरंजन ज्योति, और अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल शामिल थीं।
अपना दल और आरक्षण मुद्दा
लोकसभा चुनाव के बाद, अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल ने आरक्षण के मुद्दे पर एक चिट्ठी लिखी थी, जिस पर काफी सियासत हुई थी। इस मुद्दे पर डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने भी चिट्ठी लिखी थी और इसने पार्टी के भीतर असंतोष को और उजागर किया।
सियासी साजिश और संगठन की स्थिति
उत्तर प्रदेश बीजेपी में चल रहे इन विवादों ने पार्टी के अंदर गहरी राजनीतिक साजिशों और संगठन की स्थिति को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। पार्टी के भीतर की राजनीति, चुनावी रणनीति और संगठनात्मक मुद्दे अब खुलकर सामने आ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी की बैठक और नेताओं की मुलाकातें यह संकेत देती हैं कि पार्टी नेतृत्व ने यूपी की स्थिति को सुधारने के लिए गंभीर कदम उठाने की तैयारी की है।
उत्तर प्रदेश बीजेपी में उठ रहे विवाद और प्रधानमंत्री मोदी के साथ डिप्टी सीएम केशव मौर्य की मुलाकात इस बात का संकेत है कि पार्टी के भीतर की समस्याओं को हल करने के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। यूपी की राजनीतिक स्थिति और चुनावी हार के कारणों पर उठ रहे सवाल पार्टी की आने वाली रणनीतियों और निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं। इस सब के बीच, पार्टी के भीतर की गतिशीलता और विवादों का समाधान निकाले बिना, आगामी चुनावी मुकाबले में सफलता की उम्मीद करना कठिन होगा।
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