KNEWSINDIA…. दिल्ली सेवा बिल सोमवार यानी 7 अगस्त को राज्यसभा में पारित हो गया. सदन में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस के अलावा विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के सभी घटक दलों ने इस बिल का कड़ा विरोध किया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल को राज्यसभा में पेश किया. जिसका समर्थन बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने भी किया. बता दे कि बिल के पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वाटे पड़े है. यह वोटिंग पक्रिया पर्ची से की गई है.
दरअसल आपको बता दें कि राज्यसभा में विपक्ष के सभी संशोधन प्रस्ताव गिर गए. बिल पर चर्चा के दौरान अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली. अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि इस बिल का मकसद दिल्ली में भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन सुनिश्चित करना है. बिल के एक प्रावधान से पहले जो व्यवस्था थी, उसमें एक इंच भी बदलाव नहीं हो रहा है. अमित शाह ने आगे कहा कि यह बिल सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं करता है. हम यह बिल केंद्र की सत्ता लाने के लिए नहीं, बल्कि केंद्र को दी गई सत्ता पर दिल्ली यूटी सरकार के अतिक्रमण को कानूनी तौर पर रोकने के लिए लाए हैं .कई सदस्यों की ओर से कहा गया कि केंद्र को सत्ता अपने हाथ में लेनी होगी. हमें सत्ता लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि 130 करोड़ लोगों ने हमें सत्ता दी है.
राज्यसभा से भी पास हुआ दिल्ली सेवा विधेयक
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— Knews (@Knewsindia) August 7, 2023
अमित शाह यह कहा
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि कई बार केंद्र में कांग्रेस की सरकार रही, कई बार दिल्ली में भाजपा की सरकार रही। उस समय ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर कभी झगड़ा नहीं हुआ. उस समय इसी प्रणाली से फैसले होते थे और किसी मुख्यमंत्री को कोई परेशानी नहीं होती थी.
विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने जताया विरोध
जानकारी के लिए बता दें कि सदन में चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बीजेपी का रुख किसी भी तरह से नियंत्रण करने का है. यह बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है, यह मौलिक रूप से अलोकतांत्रिक है और यह दिल्ली के लोगों की क्षेत्रीय आवाज और आकांक्षाओं पर सीधा हमला है। यह विधानसभा-आधारित लोकतंत्र के सभी मॉडलों का उल्लंघन करता है. जो लोग इस बिल का समर्थन कर रहे हैं, कल आपके राज्य में भी ऐसा ही प्रयोग किया जा सकता है.
आम आदमी पार्टी के सांसद ने क्या कहा?
बता दें कि बिल का विरोध करते हुए आप सांसद राघव चड्ढा ने कवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता पढ़ी और कहा कि जब मनुज का नाश होता है, तो पहले विवेक मर जाता है. आज से पहले शायद ही कभी कोई असंवैधानिक, गैरकानूनी कागज का टुकड़ा किसी विधेयक के माध्यम से सदन में लाया गया होगा. आज भाजपा ने दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने के लिए अटल बिहारी वाजपेई, लाल कृष्ण आडवानी जी की 40 साल की मेहनत पर पानी फेर दिया है.
पूर्व CJI ने किया बिल का समर्थन
बिल का समर्थन करते हुए सांसद और पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि यह बिल मेरे लिए सही है. किसी के लिए गलत हो सकता है. यह कहना गलत है कि यह मामला अदालत में लंबित है और इस पर सदन में विधेयक पारित नहीं किया जा सकता.
महिला सांसदों ने किया वॉकआउट
रंजन गोगोई के भाषण का विरोध करते हुए चार महिला सांसदों ने राज्यसभा से वॉकआउट किया. इनमें एसपी सांसद जया बच्चन, शिवसेना (यूबीटी) की प्रियंका चतुवेर्दी, एनसीपी की वंदना चव्हाण और टीएमसी की सुष्मिता देव शामिल थीं. गोगेई पर अपने कार्यकाल के दौरान यौन उत्पीड़न के आरोप लगे थे.
वहीं, बीजेपी सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 105 पेज के फैसले में कहीं भी दिल्ली पर कानून पारित करने के खिलाफ कुछ नहीं कहा गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पैराग्राफ 86, 95 और 164F में कहा गया है कि दिल्ली के लिए कानून बनाने का पूरा अधिकार संसद के पास है.