दिल्ली अस्पताल घोटाला: AAP नेता सौरभ भारद्वाज के घर ED का छापा, 13 ठिकानों पर कार्रवाई, विपक्ष ने बताया ‘ध्यान भटकाने की साजिश’

KNEWS DESK- दिल्ली में कथित हजारों करोड़ के अस्पताल घोटाले की जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आम आदमी पार्टी (AAP) नेता और पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज के आवास समेत दिल्ली-NCR के 13 ठिकानों पर छापेमारी की है। इस कार्रवाई ने दिल्ली की राजनीति को एक बार फिर गरमा दिया है।

ईडी अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई अस्पताल निर्माण में धनशोधन और अनियमितताओं से जुड़े एक मामले में की गई है। छापेमारी का केंद्र उन परियोजनाओं पर है जो साल 2018-19 में 5590 करोड़ रुपये की लागत से स्वीकृत हुई थीं, जिनमें 24 अस्पताल परियोजनाएं शामिल थीं। इनमें से अधिकांश आज भी अधूरी हैं, जबकि परियोजनाओं पर खर्च कहीं अधिक बताया जा रहा है।

आप नेता अरविंद केजरीवाल ने ईडी की छापेमारी को भाजपा सरकार की जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, “AAP को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि हम मोदी सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ सबसे मुखर हैं।”

पार्टी नेता मनीष सिसोदिया और सांसद संजय सिंह ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उनका कहना है कि यह छापा सौरभ भारद्वाज के मंत्री न होने के समय का मामला है, और इसे झूठा और बेबुनियाद बताया। संजय सिंह ने आरोप लगाया कि, “हर आप नेता को एक-एक करके परेशान किया जा रहा है। पीएम मोदी की डिग्री की सच्चाई से ध्यान भटकाने के लिए यह कार्रवाई की गई है।”

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला। उन्होंने कहा, “यह छापा इसलिए मारा गया क्योंकि पूरे देश में मोदी जी की डिग्री को लेकर चर्चा हो रही है। सत्येंद्र जैन के खिलाफ भी ईडी और सीबीआई ने कार्रवाई की थी, लेकिन आज तक कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट ही दाखिल की गई। इससे साबित होता है कि AAP के खिलाफ सारे केस झूठे हैं।”

पूर्व मंत्री आतिशी ने भी तीखा तंज कसते हुए कहा, “जिस केस की बात हो रही है, उस दौरान सौरभ जी मंत्री ही नहीं थे। यह पूरा मामला सिर्फ ध्यान भटकाने का प्रयास है।”

बीती 24 जून 2025 को दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आम आदमी पार्टी सरकार में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कथित घोटाले की जांच की मंजूरी दी थी। इसके बाद भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता की शिकायत पर कार्रवाई शुरू हुई।

शिकायत के अनुसार वर्ष 2018-19 में 24 अस्पताल परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी, जिनकी लागत 5590 करोड़ रुपये थी। इनमें 7 ICU अस्पतालों को 1125 करोड़ में 6 महीने में तैयार करना था, पर तीन साल बीतने के बावजूद सिर्फ 50% काम हुआ। लोकनायक अस्पताल की न्यू ब्लॉक परियोजना की स्वीकृत लागत 465.52 करोड़ थी, लेकिन खर्च 1125 करोड़ पहुंच गया। पॉलीक्लिनिक परियोजना में 94 पॉलीक्लिनिक बनाए जाने थे, लेकिन सिर्फ 52 ही बने और उस पर 220 करोड़ खर्च हो गए। स्वास्थ्य सूचना प्रणाली (HIMS) को लागू करने में 10 साल की देरी हुई और सस्ते विकल्पों को बार-बार खारिज किया गया। आरोप है कि यह सब पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज की मिलीभगत से हुआ।