KNEWS DESK – दिल्ली में बस मार्शल की नियुक्ति को लेकर जारी विवाद ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। पिछले कुछ महीनों से 10,000 से ज्यादा बस मार्शल जो दिल्ली की बसों में महिलाओं और बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए तैनात थे, उन्हें अक्टूबर 2023 में हटा दिया गया था। इसके बाद से इस मुद्दे पर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है, और दिल्ली सरकार इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर लगातार दबाव बना रही है।
महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा
बता दें कि इस बीच, दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यह एक सार्वजनिक सेवा और सुरक्षा का मामला है, जो दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) के अधीन आता है। मुख्यमंत्री ने मांग की कि उपराज्यपाल नई पॉलिसी बनाए और नई पॉलिसी बनने तक इन बस मार्शलों को पहले की तरह तैनात किया जाए ताकि महिलाओं और बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा, “2015 से जब से अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने, तब से महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए गए थे। सीसीटीवी कैमरे, बस मार्शल की नियुक्ति और अन्य कई पहल की गई थीं। इनकी नियुक्ति से महिलाओं को सार्वजनिक परिवहन में सुरक्षा का अहसास हुआ था।” उन्होंने बताया कि 2023 में भाजपा के अफसरों ने इस व्यवस्था में अड़चन डालने की साजिश की और आखिरकार अक्टूबर 2023 में बस मार्शल्स को हटा दिया गया। इससे महिलाओं के लिए बसों में सफर करना मुश्किल हो गया, क्योंकि अक्सर महिलाओं के साथ अभद्रता की घटनाएं सामने आ रही थीं।
महिलाओं और बुजुर्गों की सुरक्षा से खिलवाड़
मुख्यमंत्री ने भाजपा पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी ने राजनीतिक कारणों से इस अहम सुरक्षा व्यवस्था को खत्म किया। उन्होंने कहा, “बीजेपी ने जानबूझकर इस व्यवस्था में रुकावट डाली ताकि महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े प्रयासों को नुकसान पहुंचे। यह राजनीतिक साजिश का हिस्सा है, जो महिलाओं और बुजुर्गों की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहा है।”
आतिशी ने आगे कहा कि 10 नवंबर 2024 को दिल्ली सरकार की कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया कि उपराज्यपाल से प्रस्ताव भेजा जाएगा ताकि बस मार्शल्स की बहाली हो सके। दिल्ली सरकार ने LG को प्रस्ताव भेजा है कि वे इन मार्शलों को दो शिफ्टों में नियुक्त करें। हमने उन्हें यह भी सुझाव दिया कि नई पॉलिसी बनने में छह महीने लग सकते हैं, लेकिन तब तक इन मार्शलों को पहले की तरह तैनात किया जाए ताकि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार बजट प्रदान करने के लिए पूरी तरह तैयार है, और उन्हें उम्मीद है कि उपराज्यपाल इस प्रस्ताव को शीघ्र मंजूरी देंगे।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी इस मुद्दे पर भाजपा और उपराज्यपाल के खिलाफ तीखा बयान दिया। उन्होंने कहा, “हमने दिल्ली विधानसभा में सर्वसम्मति से फैसला लिया था कि 3 अक्टूबर को हम बस मार्शल की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल के पास जाएंगे, लेकिन बीजेपी के विधायक वहां नहीं आए। पुलिस ने हमारे साथ डंडे भी चलाए।”
भारद्वाज ने बताया कि जब बीजेपी विधायक विजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा, तो उन्होंने कहा था कि दिल्ली सरकार प्रस्ताव पास कराए और LG से मंजूरी दिलवाए। लेकिन अब तक इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
बस मार्शल के संघर्ष की कहानी
सीएम आतिशी ने कहा कि पिछले एक साल से ये बस मार्शल बेरोजगार हो चुके थे और उन्हें रोजगार के लिए संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने कहा “हमारे मंत्री और विधायक उनके साथ खड़े रहे, संघर्ष किया, और आखिरकार केंद्र सरकार को झुकना पड़ा। अब 4 महीने के लिए इन मार्शल्स को बहाल किया जाएगा| इन बस मार्शलों के बिना महिलाओं और बुजुर्गों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा है। बसों में सुरक्षा की कमी के कारण अक्सर महिलाओं को उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता था।
फाइनल फैसला किसके हाथ में?
दिल्ली सरकार की ओर से यह साफ किया गया कि बस मार्शल की नियुक्ति के मामले में उपराज्यपाल की भूमिका अहम है। ट्रांसपोर्ट विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि यह सुरक्षा और सार्वजनिक सेवा का मामला है, जो उपराज्यपाल के तहत आता है। मुख्यमंत्री आतिशी और उनके मंत्री यह उम्मीद कर रहे हैं कि LG इस प्रस्ताव पर जल्दी मुहर लगाएंगे ताकि दिल्ली के बसों में महिलाओं और बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और बस मार्शल्स को फिर से रोजगार मिल सके।