डिजिटल डेस्क- कांग्रेसी नेता और सांसद राहुल गांधी इन दिनों फॉर्म में दिखाई दे रहे हैं। गुरूवार को प्रेस कांफ्रेंस कर जहां पूर्व में हुए चुनाव को लेकर चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा किया और चुनाव के दौरान हुई धांधली का आरोप लगाकर साक्ष्य पेश किये। वहीं आज सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए चेतावनी जारी की है। राहुल गांधी ने वीडियो के साथ ही लिखा कि वोट चोरी सिर्फ़ एक चुनावी घोटाला नहीं, ये संविधान और लोकतंत्र के साथ किया गया बड़ा धोखा है। देश के गुनहगार सुन लें – वक़्त बदलेगा, सज़ा ज़रूर मिलेगी।
क्या कहा वीडियो में….?
सोशल मीडिया साइट एक्स पर राहुल गांधी ने एक वीडियो पोस्ट किया। पोस्ट किए वीडियो में राहुल गांधी ने कहा, नमस्कार…… मैं एक राजनीतिक परिवार में पैदा हुआ हूँ। जब मैं छोटा था, 1980 में…..। तब मैं और प्रियंका घर में लेई बनाते थे और चुनाव के पोस्टर चिपकाते थे। 20 साल से मैं स्वयं चुनाव लड़ रहा हूं। पोलिंग कैसे होती है? पोलिंग बूथ कैसे मैनेज किया जाता है? वोटर लिस्ट…. फार्म 17…. ये सब मैं गहराई से समझता हूं। कुछ समय पूर्व हमें दाल में कुछ काला लगा। जब चुनाव होते थे…. मूड एक तरीके का होता था, नतीजे दूसरे तरीके के आते थे। मुझे याद है, उत्तराखंड में हम चुनाव हारे। मैंने वहां के एक कैंडिडेट से कहा। जहां रोडशो हुआ था वहां जाकर देखिए आपको कितने वोट मिले….। रोडशो में हजारों लोग आए थे लेकिन पोलिंग बूथ में किसी ने वोट नहीं किया। ये असंभव था… ये हो ही नहीं सकता….। उसके बाद छतीसगढ़ और मध्यप्रदेश के रिजल्ट…. हमें लगा कुछ गलत हो रहा है। 2018 में मध्यप्रदेश में चुनाव होता है, हम चुनाव जीतते हैं। हमारी सरकार चोरी हुई थी। फिर 2023 में चुनाव होता है। मैंने अपनी आँखों से भारत जोड़ो यात्रा में देखा…. भयंकर भीड़, लेकिन हमें 65 सीट मिलती है… इंपोसिबल… हो ही नहीं सकता…. और फिर महाराष्ट्र। महाराष्ट्र में हमें पहली बार सबूत मिला…. विधानसभा और लोकसभा के बीच में जादू से नए वोटर आते हैं…. और जहां भी इन नए वोटर्स ने वोट किया वहां वोट बीजेपी को गए। महाराष्ट्र चुनाव के बाद जब हमें डाउट हुआ…. हमारे गठबंधन के सारे नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस की। हमने चुनाव आयोग से कहा कि आप हमें वोटर लिस्ट दीजिए, वीडियो रिकॉर्डिंग दीजिए…। इलेक्शन कमीशन ने मना किया। न उन्होंने हमें वोटर लिस्ट दी और न ही वीडियो रिकॉर्डिंग दी। हमें डाउट हुआ…. क्यों नहीं दे रहे हैं, क्या कारण हैं? तो हमारे मन में सवाल उठा… क्या इलेक्शन कमीशन बीजेपी की मदद कर रहा है? क्या इलेक्शन कमीशन ही इलेक्शन को चोरी करवा रहा है? इसके बाद हमने एक टीम गठित की और टीम से कहा कि आप जाइए और एक विधानसभा में जाकर सच्चाई ढूंढिए.. किस प्रकार से चीटिंग की जा रही है…. किस प्रकार से ये काम किया जा रहा है और कौन-कौन इस काम को कर रहे हैं? सबसे महत्वपूर्ण बात ये हैं कि इलेक्शन कमीशन डिजिटल डेटा नहीं देता है, फिजिकल डेटा देता है। मतलब… लाखों कागज में वोटर लिस्ट दे देगा, मगर डिजिटल वोटर लिस्ट कभी नहीं देता है। क्यों नहीं देता…. कारण क्या है… कारण है कि अगर डिजिटल देता देगा तो इलेक्शन कमीशन की पूरी सच्चाई पूरे देश को पता लग जाएगी।
हमने टीम को लगाया और कहा कि आप 5-7 जगह पर जाइए और पता लगाइए कि अगर चीटिंग हुई तो कैसे हुई…. टीम ने हमे बताया कि 5-7 सीटों पर ये काम किया ही नहीं जा सकता। मैंने कहा क्यों नहीं किया जा सकता…. उन्होंने मुझे कागज दिखाए। और ये कागज लोकसभा के कागज नहीं हैं, विधानसभा के कागज हैं। इन कागजों को हमने मैनुअली पढ़ा। इस काम को हमें 6 महीने लगे हैं। हम एक विधानसभा सीट में ये काम कर पाए हैं क्योंकि डिजिटली डेटा नहीं दिया जाता । अगर इलेक्शन कमीशन ने हमें ये डेटा डिजिटल रूप में दिया होता तो हम हर विधानसभा में…. हर लोकसभा में…. पूरे देश में 15 मिनट में करके दिखा देते। हमारे पास सीमित संसाधन है इसलिए हमने ये काम सिर्फ एक विधानसभा में और एक लोकसभा में किया। और मुझे पूरा भरोसा है कि 100 से ज्यादा सीटे हैं जहां इस तरह का काम हो रहा है।