डिजिटल डेस्क- लखनऊ की विशेष एससी/एसटी अदालत ने एससी/एसटी एक्ट के दुरुपयोग पर एक महत्वपूर्ण और कड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने झूठी FIR दर्ज कराने के आरोप में अभियुक्त विकास कुमार को दोषी ठहराते हुए 5 वर्ष का साधारण कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि झूठे मुकदमे दर्ज कराकर सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग करना कानून की भावना के खिलाफ है और इसे रोकने के लिए कठोर कदम उठाना आवश्यक है। अदालत ने जिलाधिकारी लखनऊ को आदेश दिया है कि यदि अभियुक्त को इस झूठी FIR के आधार पर कोई राहत राशि प्रदान की गई हो, तो उसे तुरंत वापस लिया जाए। कोर्ट ने निर्देश दिया कि सिर्फ FIR दर्ज होने के आधार पर किसी कथित पीड़ित को नकद सहायता नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि मामला प्रथम दृष्टया सिद्ध न हो जाए और अदालत आरोप तय न कर दे। अदालत ने कहा कि राहत राशि वास्तविक पीड़ितों के लिए है, न कि झूठे मामलों के जरिए लाभ उठाने वालों के लिए।
सिविल विवाद को दिया SC/ST एक्ट का रूप
यह मामला वर्ष 2019 का है, जब विकास कुमार ने थाना PGI में ओम शंकर यादव समेत अन्य लोगों के खिलाफ मारपीट, धमकी और एससी/एसटी एक्ट के तहत गंभीर आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई थी। विवेचना अधिकारी डॉ. बीनू सिंह, सीओ कैंट द्वारा की गई जांच में पाया गया कि घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था और आरोपियों की घटनास्थल पर मौजूदगी भी सिद्ध नहीं हो सकी। जांच में यह भी सामने आया कि मामला दरअसल खसरा संख्या 547 की जमीन से संबंधित एक सिविल विवाद था, जिसे अभियुक्त ने जानबूझकर एससी/एसटी एक्ट का रूप दिया।
अदालत में सिद्ध हुआ झूठा मुकदमा
विशेष लोक अभियोजक अरविंद मिश्रा ने अदालत में दलील दी कि झूठी एफआईआर न केवल निर्दोष लोगों को फंसाती है बल्कि एससी/एसटी एक्ट की वास्तविक मंशा को कमजोर करती है। अदालत ने माना कि अभियोजन साक्ष्यों और गवाहों के बयानों से यह साबित होता है कि शिकायतकर्ता ने झूठा मुकदमा दर्ज कराया था, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 182 और 211 के तहत गंभीर तथा दंडनीय अपराध है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एससी/एसटी एक्ट का दुरुपयोग वास्तविक पीड़ितों को न्याय दिलाने में बाधा बनता है और करदाताओं के धन का दुरुपयोग करना किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं है। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में ऐसे झूठे मामलों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, ताकि कानून का गलत इस्तेमाल रोककर उसकी गरिमा और प्रभावशीलता को बनाए रखा जा सके।