KNEWS DESK- कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए उन्हें उनके चुनावी वादों और 100 दिन के एजेंडे को लेकर घेरा है। खरगे ने गुरुवार को कहा कि मोदी ने चुनाव से पहले 100 दिन के एजेंडे का ढिंढोरा पीटा था, लेकिन अब 95 दिन बीतने के बाद भी उनकी सरकार की निष्क्रियता के भयानक परिणाम देश झेल रहा है।
पीएम मोदी की 100 दिन की योजना पर सवाल
खरगे ने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करते हुए लिखा, “नरेंद्र मोदी जी, आपने चुनाव से पहले 100 दिन के एजेंडे का जोर-शोर से प्रचार किया था। अब 95 दिन पूरे हो गए हैं, लेकिन आपकी गठबंधन सरकार ढुलमुल रवैया अपनाए हुए है।”
जनविरोधी बजट और सुरक्षा मुद्दे
खरगे ने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार ने गरीब और मध्यम वर्ग की रीढ़ तोड़ने वाला एक जनविरोधी बजट पेश किया है। उन्होंने जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादी हमलों का भी उल्लेख किया, जिसमें भारतीय सेना के बहादुर जवान शहीद हुए हैं। खरगे ने आरोप लगाया कि मणिपुर में हिंसा और असुरक्षा के बावजूद प्रधानमंत्री को राज्य की स्थिति की चिंता नहीं है।
अदाणी महा घोटाले और युवाओं को धोखा
खरगे ने मोदी-अदाणी महा घोटाले का भी जिक्र किया और कहा कि सेबी अध्यक्ष द्वारा की गई भूल-चूक को अब और दबाया नहीं जा सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने युवाओं को हर दिन धोखा दिया है, चाहे वह नीट पेपर लीक हो या बेरोजगारी की समस्या।
अधूरे प्रोजेक्ट्स और अवसंरचना की खामियां
खरगे ने प्रधानमंत्री द्वारा बनाए गए प्रोजेक्ट्स पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा, हवाई अड्डों की छतें, अयोध्या में भगवान राम मंदिर, एक्सप्रेसवे, पुल, सड़कें और सुरंगें—all में खामियां हैं। उन्होंने रेलवे सुरक्षा को गंभीर खतरे में बताया और कहा कि शहरों में पानी भर गया है और राज्यों को पर्याप्त राहत नहीं दी गई है।
100 दिनों के एजेंडे की समीक्षा
खरगे ने यह भी सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री मोदी का 100 दिनों का एजेंडा क्या था और यह स्पष्ट किया कि 95 दिनों में देश आपकी निष्क्रियता के भयानक परिणाम भुगत रहा है। उन्होंने कहा कि वक्फ विधेयक को जेपीसी को सौंपने, यूपीएस में ‘यू’ टर्न लेने और लेटरल एंट्री पर संविधान का समर्थन करने के मामले में जनता और इंडी गठबंधन के दलों का पूरा श्रेय है। खरगे का यह बयान मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस की आलोचनात्मक रणनीति का हिस्सा है, जो आने वाले चुनावों में सत्ता परिवर्तन की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है।
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