KNEWS DESK- हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने गुरुकुल कुरुक्षेत्र में आयोजित आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा के आर्य महासम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस मौके पर उन्होंने वेदों के ज्ञान, गाय के महत्व और प्राकृतिक खेती के महत्व पर अपने विचार साझा किए। मुख्यमंत्री सैनी ने स्वामी दयानंद सरस्वती के योगदान को सराहते हुए उनके दिखाए मार्ग पर चलने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
“वेद के बिना मति नहीं, गाय के बिना गति नहीं”:
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा, “वेद के ज्ञान के बिना विचार शुद्ध नहीं हो सकते और गाय के महत्व को समझे बिना हम समृद्ध नहीं हो सकते।” उन्होंने यह उद्धरण देते हुए कहा कि वेदों का अध्ययन और गाय के संरक्षण के महत्व को समझे बिना समाज और राष्ट्र की समृद्धि संभव नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि “वेद बिना मति नहीं, तो गाय बिना गति नहीं,” यह उद्धरण भारतीय संस्कृति के उन दोनों महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करता है, जिनकी अनदेखी समाज की प्रगति में रुकावट डाल सकती है।
स्वामी दयानंद सरस्वती का योगदान
मुख्यमंत्री ने स्वामी दयानंद सरस्वती की शहादत और उनकी शैक्षिक विरासत को याद करते हुए कहा, “स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना कर देश को नई दिशा दी थी। उनके विचारों से न केवल देश में एक नई क्रांति आई, बल्कि समाज और राष्ट्र को सही मार्गदर्शन भी मिला।” मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि स्वामी दयानंद के विचारों और उनके नेतृत्व में अनेक लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और देश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने स्वराज्य की स्थापना के लिए किए गए संघर्षों को भी सराहा और कहा कि यह समय है कि हम स्वामी दयानंद के दिखाए रास्ते पर चलें और उन्हें सम्मानित करें।
गुरुकुल शिक्षा प्रणाली की महत्ता
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने गुरुकुल शिक्षा पद्धति की महत्ता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “गुरुकुल पद्धति की शिक्षा ने देश और प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज भी इस शिक्षा की आवश्यकता महसूस हो रही है, और हमें इसे बढ़ावा देने के लिए एक बड़े अभियान की जरूरत है।”
प्राकृतिक खेती के महत्व पर बल
इस कार्यक्रम के दौरान, मुख्यमंत्री ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत द्वारा चलाए जा रहे प्राकृतिक खेती मिशन की भी सराहना की। उन्होंने कहा, “हमें अपने प्रदेश और देश को एक स्वस्थ और समृद्ध वातावरण देने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा। यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर वातावरण सुनिश्चित करेगा।” मुख्यमंत्री ने यह भी आह्वान किया कि राज्य सरकार और समाज को मिलकर इस दिशा में कदम उठाने चाहिए ताकि हरियाणा के किसान प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर हो सकें।
सोशल मीडिया और नैतिक शिक्षा
मुख्यमंत्री ने आज के समय में सोशल मीडिया के प्रभाव के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने कहा, “आजकल सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के जरिए नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है, और युवा पीढ़ी इससे प्रभावित हो रही है। हमें इस पीढ़ी को सही मार्ग दिखाने की जरूरत है।” मुख्यमंत्री ने आर्य समाज के महत्वपूर्ण योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि इस दिशा में आर्य समाज का एक अहम भूमिका हो सकता है, और इसके लिए सभी को मिलकर संकल्प लेना होगा।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत का संदेश
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने भी प्राकृतिक खेती के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “प्राकृतिक खेती न केवल पर्यावरण को बचाने के लिए आवश्यक है, बल्कि यह हमें अपने पारंपरिक कृषि पद्धतियों की ओर लौटने का अवसर भी देती है। हमें इसे बढ़ावा देने के लिए समाज को जागरूक करना होगा।”
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