KNEWS DESK- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने 78वें स्वतंत्रता दिवस पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट के जरिए नाराजगी जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि सीएम आवास पर इस वर्ष तिरंगा नहीं फहराया गया, और इस पर दुख व्यक्त करते हुए लिखा कि यह तानाशाही एक चुने हुए मुख्यमंत्री को जेल में रख सकती है, लेकिन दिल में देशप्रेम को कैसे रोक पाएगी।
स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा न फहराने का आरोप
सुनीता केजरीवाल के इस पोस्ट ने राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तिरंगा झंडा न फहराने की घटना को लेकर निराशा व्यक्त की और तानाशाही की आलोचना की। उनका यह बयान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के संदर्भ में आया है, जिनके खिलाफ हाल ही में मामले दर्ज हुए हैं और वे जेल में हैं।
हरियाणा में सियासी जनसभा का संबोधन
हरियाणा के हिसार में 12 अगस्त को एक सियासी जनसभा को संबोधित करते हुए सुनीता केजरीवाल ने कहा था कि अरविंद केजरीवाल हरियाणा के लाल हैं और हिसार के बेटे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी सपने में नहीं सोच सकता था कि हिसार का लड़का दिल्ली का मुख्यमंत्री बनेगा। सुनीता केजरीवाल ने इसे इत्तेफाक नहीं मानते हुए कहा कि भगवान चाह रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल कुछ बड़ा करें।
स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानी की याद
दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ट्वीट किया कि आज हम स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं, जब 1947 में भारत को अंग्रेजों की तानाशाही से आजादी मिली थी। स्वतंत्रता सेनानियों ने लाठियां खाईं और अपनी जान की कुर्बानी दी। उनके सपनों में भी ऐसा विचार नहीं आया होगा कि आजाद भारत में एक चुने हुए मुख्यमंत्री को झूठे मुकदमे में फंसा कर जेल में रखा जाएगा। आइए, हम प्रण लें कि आखिरी सांस तक तानाशाही के खिलाफ लड़ते रहेंगे।
आप सांसद संजय सिंह की टिप्पणी
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी स्वतंत्रता दिवस पर सीएम अरविंद केजरीवाल को याद करते हुए ट्वीट किया कि भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य के स्तर को बेहतर करने, बिजली-पानी मुफ्त देने और माताओं-बहनों की बस यात्रा मुफ्त कराने वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्वतंत्रता दिवस के दिन भी जेल में हैं।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
सीएम केजरीवाल की पत्नी और पार्टी के नेताओं के बयानों ने राजनीति में एक बार फिर तानाशाही और स्वतंत्रता के अधिकारों को लेकर बहस को हवा दी है। विपक्षी दलों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी को तानाशाही की उपमाओं से जोड़ा है और इसे स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों का अपमान मानते हुए इसकी कड़ी निंदा की है।स्वतंत्रता दिवस पर इस तरह की राजनीतिक प्रतिक्रियाएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि भारतीय राजनीति में स्वतंत्रता, तानाशाही, और मानवाधिकारों के मुद्दे अब भी गहराई से जुड़े हुए हैं।