KNEWS DESK- अमेरिका से निर्वासित अवैध भारतीय अप्रवासियों की दूसरी खेप शनिवार रात अमृतसर पहुंची। अमेरिकी सैन्य विमान सी-17ए में सवार एक भारतीय निर्वासित व्यक्ति ने यात्रा के दौरान अपने पैरों में जंजीर और हाथों में हथकड़ी लगाए जाने का दावा किया। यह दावा उस घटना के एक सप्ताह बाद किया गया है, जब पहले समूह के निर्वासितों ने भी इसी तरह की शिकायतें की थीं। इन शिकायतों के बाद देश में व्यापक हंगामा मच गया था और इस मुद्दे पर संसद में विदेश मंत्री एस जयशंकर को भी बयान देना पड़ा था।
सी-17 विमान में सवार 120 भारतीय निर्वासितों का अमृतसर पहुंचना 90 मिनट की देरी के बाद शनिवार रात करीब 11.35 बजे हुआ। इस समूह में पंजाब के होशियारपुर जिले के निवासी दलजीत सिंह सहित 65 लोग शामिल थे। इसके अलावा हरियाणा से 33, गुजरात से 8 और उत्तर प्रदेश, गोवा और महाराष्ट्र से भी कुछ लोग इस समूह में थे।
जंजीर और हथकड़ी लगाए जाने का विवाद
निर्वासितों ने अपनी यात्रा के दौरान अस्वाभाविक परिस्थितियों का सामना करने का आरोप लगाया। एक भारतीय निर्वासित व्यक्ति ने बताया कि यात्रा के दौरान उन्हें हथकड़ी और जंजीर पहनाई गई थी, जिससे उनकी स्वतंत्रता पूरी तरह से छिन गई थी। यह घटना तब सामने आई है, जब पिछले सप्ताह भी पहले समूह ने ऐसी ही शिकायतें की थीं, जिनमें उन्होंने यात्रा के दौरान बदसलूकी का आरोप लगाया था।
इन शिकायतों के बाद देश में बड़ा हंगामा मच गया था, और भारतीय सरकार को इस मुद्दे पर तुरंत जवाब देने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इसके अलावा, विदेश मंत्री एस जयशंकर को भी संसद में इस विषय पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी थी।
निर्वासन और सरकार की प्रतिक्रिया
अमेरिका से निर्वासित किए गए भारतीय नागरिकों के लौटने के बाद यह मुद्दा राजनीतिक रूप से संवेदनशील बन गया है। भारत सरकार ने पहले खेप के मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन दूसरी खेप में भी इसी प्रकार के आरोप सामने आने से सरकार पर और दबाव बढ़ गया है। इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने भी सरकार से सवाल पूछे हैं, जबकि भारत सरकार ने स्थिति को जांचने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का वादा किया है।
पंजाब सरकार ने इन निर्वासितों के लिए अस्थायी आवास की व्यवस्था की थी। वहीं, इन प्रवासियों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए पंजाब प्रशासन ने विशेष कदम उठाए हैं। पंजाब सरकार ने घोषणा की है कि जिन प्रवासियों का संबद्ध राज्य पंजाब नहीं है, उन्हें वहां से उनके गृह राज्य के लिए भेजा जाएगा। यह स्थिति अब सरकार के लिए एक चुनौती बन चुकी है, और यह देखा जाएगा कि भविष्य में ऐसे मामलों में सुधार की दिशा में क्या कदम उठाए जाते हैं।
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