KNEWS DESK- भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने शनिवार को कहा कि सभी विवाद न्यायालय और मुकदमेबाजी के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं। उन्होंने मध्यस्थता को विवाद समाधान का एक प्रभावी तरीका बताते हुए इसे अपनाने पर जोर दिया। सीजेआई नागपुर में महाराष्ट्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एमएनएलयू) के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।
हर विवाद को कानूनी रूप देना उचित नहीं
सीजेआई ने कहा कि प्रत्येक मामले को केवल कानूनी दृष्टिकोण से नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसे मानवीय दृष्टिकोण से भी समझना आवश्यक है। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय कानूनी सहायता प्रणाली दुनिया की सबसे मजबूत प्रणालियों में से एक है, जो सभी हितधारकों को सहायता प्रदान करती है।
मुख्य न्यायाधीश ने कानूनी कार्रवाई से पहले आपसी मध्यस्थता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता न केवल विवादों को हल करने का तरीका है, बल्कि यह रचनात्मक समाधान भी प्रदान करता है, जिससे आपसी रिश्ते भी मजबूत होते हैं। साथ ही, उन्होंने वकीलों को “समस्या समाधानकर्ता” बताया और कहा कि उन्हें कानूनी एवं मानवीय दोनों दृष्टिकोण से समाधान निकालने की कोशिश करनी चाहिए।
समाधान को लचीला और व्यावहारिक बनाने की जरूरत
सीजेआई खन्ना ने कहा कि वर्तमान समय में समस्याएं अधिक जटिल हो गई हैं, इसलिए उनके समाधान भी लचीले और व्यावहारिक होने चाहिए। उन्होंने न्याय प्रक्रिया को अधिक लागत प्रभावी और समयबद्ध बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे सभी को न्याय सुलभ हो सके। उन्होंने सभी हितधारकों से परंपरागत सोच से आगे बढ़ने और नए समाधान अपनाने की अपील की।
अपने भाषण में सीजेआई ने जलवायु परिवर्तन और डिजिटल युग से उत्पन्न चुनौतियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन केवल पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि मानवाधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए भी एक गंभीर खतरा है। साथ ही, उन्होंने गोपनीयता और साइबर सुरक्षा जैसे डिजिटल युग के नए मुद्दों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता बताई।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के विचार स्पष्ट रूप से न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी और सुलभ बनाने की दिशा में केंद्रित हैं। उन्होंने मध्यस्थता को प्राथमिकता देने, कानूनी प्रणाली को अधिक लचीला और मानवीय बनाने, तथा आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए नए उपाय अपनाने की जरूरत पर जोर दिया।
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