KNEWS DESK- जिस घड़ी का सभी को लंबे समय से इंतजार था वो समय अब धीरे- धीरे आ रहा है। चंद्रयान-3 आज बुधवार (23 अगस्त) की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद की सतह पर उतकर इतिहास रचने वाला है। मिशन चंद्रयान-2 की विफलता के बाद इसरो ने 14 जुलाई को इस नये मून मिशन को लॉन्च किया था।
सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बनने की राह पर भारत
5 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद की कक्षा में प्रेवश कर गया था। 17 अगस्त को लैंडर और रोवर दोनों मॉड्यूल अलग हो गए. अमेरिका चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बनने की राह पर है। इतना ही नहीं पूरा घटनाक्रम अगर इसरो के हिसाब से चलता रहा तो भारत मून के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बन जाएगा।
क्या होती है सॉफ्ट और हार्ड लैंडिंग
चांद की सतह पर अंतरिक्ष यान को नियंत्रित तरीके से उतरने को सॉफ्ट लैंडिंग कहते हैं. लैंडिंग के समय स्पेसक्राफ्ट की स्पीड धीरे-धीरे कम होती जाएगी और लगभग 0 की स्पीड पर सतह को छुएगा। हार्ड लैंडिंग एक क्रैश लैंडिंग होती है जहां पर स्पेसक्राफ्ट सतह से टकराते ही नष्ट हो जाता है। इससे पहले चंद्रयान-2 सॉफ्ट लैंडिंग के वक्त फेल हो गया था लेकिन इस बार इसरो चीफ एस सोमनाथ का दावा है कि चाहे जो हो जाए लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग होकर रहेगी।
चांद पर सफल लैंडिंग के बाद होगा ये
रोवर (प्रज्ञान) लैंडर (विक्रम) से निकलकर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। इसके बाद रोवर चांद की सतह का विश्लेषण करने के साथ-साथ मौजूदा परिवेश का अध्ययन भी करेगा। लैंडर और रोवर एक चंद्र दिवस यानि चांद पर एक दिन तक सही सलामत रह सकते हैं। एक चंद्र दिवस पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है. 14 दिनों बाद क्या होगा इसके बारे में इसरो की तरफ से कोई जानकारी साझा नहीं की गई है हालांकि वैज्ञानिकों ने इस संभावना से भी इनकार नहीं किया है कि लैंडर और रोवर एक चंद्र दिवस से भी अधिक जीवित रह सकते हैं।
एक चंद्र दिवस वो समय होता है जब सूर्य चंद्रमा पर चमकता है। जब तक सूरज चमकता रहेगा सभी प्रणालियां विधिवत काम करती रहेंगी। इसके बाद जब सूर्य चंद्रमा पर डूबेगा तो वहां अंधेरा हो जाएगा और तापमान शून्य से 180 डिग्री सेल्सियस तक चला जाएगा। ऐसे में स्पेसक्राफ्ट के जिंदा रहने की संभावना कम हो जाएगी। अगर ये जीवित रहता है तो इसरो के खाते में एक और उलब्धि जुड़ जाएगी।