मनरेगा को लेकर केंद्र–बंगाल में टकराव तेज, ममता बनर्जी ने फाड़ा केंद्र का आदेश

डिजिटल डेस्क- पश्चिम बंगाल में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले केंद्र और राज्य सरकार के बीच राजनीतिक तनातनी नई ऊंचाई पर पहुंच गई है। केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा (MGNREGA) योजना को विशेष शर्तों के साथ “तत्काल प्रभाव से” बहाल करने के आदेश के बाद राज्य की ममता बनर्जी सरकार ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। करीब तीन साल तक पश्चिम बंगाल में मनरेगा फंड रोके जाने के बाद केंद्र ने कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देशों के पालन में 6 दिसंबर को यह आदेश जारी किया था। सूत्रों के अनुसार, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्य सरकार को भेजी सूचना में कहा कि “महात्मा गांधी नरेगा योजना को हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार तुरंत लागू किया जा रहा है।” केंद्र की इस घोषणा के साथ ही राजनीतिक विवाद भी शुरू हो गया है, क्योंकि राज्य सरकार इसे “शर्तों के साथ थोपने की कोशिश” बता रही है।

आदेश को अपमानजनक बताते हुए फाड़ा आदेश पत्र

मंगलवार को कूचबिहार में एक जनसभा के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र के इस पत्र का विरोध करते हुए नए नियमों वाली कॉपी मंच पर ही फाड़ दी। उन्होंने आदेश को “अपमानजनक” बताते हुए कहा कि केंद्र मनरेगा लागू करने के बहाने राज्य को दबाव में लेने की कोशिश कर रहा है। ममता ने कहा, “उन्होंने कहा है कि हमें 6 दिसंबर से तिमाही लेबर बजट जमा करना होगा। ट्रेनिंग देनी होगी। लेकिन चुनाव नजदीक हैं, यह सब लागू करना संभव ही नहीं है। यह कागज का टुकड़ा बेकार है।” मुख्यमंत्री ने दावा किया कि राज्य अपनी “कर्मश्री” स्कीम के तहत 70 दिन से बढ़ाकर 100 दिन का रोजगार दे रहा है, जिसके लिए उसे केंद्र की “खैरात” की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने दो टूक कहा कि बंगाल “भीख नहीं मांगता” और हमेशा सम्मान के साथ सिर उठाकर चलता है।

केंद्र की कई शर्तों पर ममता सरकार ने जताई आपत्ति

केंद्र द्वारा योजना की बहाली के साथ कई शर्तें भी जोड़ी गई हैं, जिन पर ममता सरकार ने आपत्ति जताई है। नए आदेश के अनुसार, राज्य को सभी मजदूरों का 100% ई-केवाईसी अनिवार्य रूप से पूरा करना होगा। मस्टर रोल भी केवल ई-केवाईसी के बाद ही जारी किए जाएंगे। इसके अलावा, लेबर बजट अब पूरे वर्ष के बजाय तिमाही आधार पर जारी होगा, और नई शर्तों के पालन व प्रदर्शन के आधार पर ही अगली किस्त मंजूर की जाएगी। केंद्र ने 20 लाख रुपये से अधिक लागत वाले कामों की मंजूरी पर रोक लगा दी है। सभी सामुदायिक कार्यों के लिए DPR अनिवार्य रूप से बनाया जाएगा, और 20 लाख तक की परियोजनाओं को DM व DPC द्वारा SECURE Soft के माध्यम से मंजूरी दी जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *