KNEWS DESK- कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में बीते 9 अगस्त को एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्या की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस गंभीर मामले की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में सुबह 10:30 बजे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच द्वारा की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया था, और आज की सुनवाई का उद्देश्य मामले की प्रगति और जांच की दिशा की समीक्षा करना है।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज के ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्या की घटना के बाद, देशभर के डॉक्टरों ने प्रदर्शन किया और हड़ताल पर चले गए। इस हड़ताल ने स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित किया, और 14 अगस्त की रात को इसी अस्पताल में भीड़ ने जमकर तोड़फोड़ की थी। इसके बाद, 19 अगस्त को डॉक्टरों और स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच मीटिंग हुई, लेकिन दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बन पाई। FAIMA (फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन) ने हड़ताल को जारी रखने का निर्णय लिया है।
आरोपी संजय रॉय का लाई डिटेक्टर टेस्ट
मामले में आरोपी संजय रॉय, जो 10 अगस्त से पुलिस हिरासत में है, का लाई डिटेक्टर टेस्ट कराया जाएगा। कोलकाता की अदालत ने CBI को इस टेस्ट की इजाजत दे दी है। CBI की एक टीम ने 19 अगस्त की शाम को कुछ इलाकों के CCTV कैमरों के फुटेज हासिल करने के लिए कोलकाता पुलिस हेडक्वार्टर पहुंची। पहले के दावों के अनुसार, आरोपी ने अस्पताल से निकलने के बाद सेक्स वर्कर्स के मोहल्ले में जाकर शराब पी थी। अब CCTV फुटेज के जरिए यह पता लगाया जाएगा कि आरोपी ने वास्तव में कहां-कहां और किस घर में गया था।
पूर्व प्रिंसिपल की पूछताछ और वित्तीय जांच
इस मामले की जांच में CBI ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से भी लगातार चार दिन पूछताछ की है। पूछताछ के दौरान, डॉ घोष ने CBI के सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं दिए हैं। इसी के साथ, पश्चिम बंगाल सरकार ने संदीप घोष के कार्यकाल के दौरान मेडिकल कॉलेज में हुए वित्तीय लेनदेन की भी जांच शुरू कर दी है। इस संबंध में एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया गया है, जो जनवरी 2021 से अब तक हुए लेनदेन की जांच करेगी और एक महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी। इस मामले की संवेदनशीलता और जटिलता को देखते हुए, सभी पक्षों के लिए न्याय सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट की आज की सुनवाई से मामले की दिशा और आगे की कार्रवाई स्पष्ट हो सकती है। इस मामले में जनता और चिकित्सा समुदाय की नज़रें अब उच्चतम न्यायालय की ओर टिकी हुई हैं।
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