डिजिटल डेस्क- उत्तर प्रदेश की राजनीति में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष और राज्य के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है उनका नया संगठन, जिसका नाम उन्होंने ‘आरएसएस’ रखा है। हालांकि यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना है। 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले राजभर के इस कदम ने राजनीतिक हलचल को तेज कर दिया है। ओम प्रकाश राजभर की इस राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना को पूरी तरह एक “सेना जैसा स्वरूप” दिया गया है। इसकी एक अलग नीली वर्दी तय की गई है। जवानों के कंधों पर उनकी रैंक के अनुसार सितारे लगाए जा रहे हैं। बैरेट कैप, छाती पर बैज और हाथों में स्टिक… सब कुछ सेना जैसी अनुशासन वाली पहचान देता है। राजभर का दावा है कि अब तक गमछा और पीली टी-शर्ट पहनकर कार्यकर्ता चलते थे, इसलिए उन्हें एक “ऑफिशियल लुक” देना जरूरी था। संगठन के सभी सदस्यों को आई-कार्ड भी जारी किए जा रहे हैं। सेना में अलग-अलग पदनाम भी तय किए गए हैं। कमांडर, सीओ, डीएसपी, एसआई और इंस्पेक्टर। यह संरचना इसे पार्टी के अन्य विंग्स से बिल्कुल अलग बनाती है।
युवाओं को कौशल विकास से जोड़ने की बात
मंत्री ओम प्रकाश राजभर का कहना है कि इस सेना का मुख्य उद्देश्य युवाओं को गुमराह होने से बचाना और उन्हें कौशल विकास की दिशा में आगे बढ़ाना है। राजभर के अनुसार, ग्रामीण युवाओं में 18–25 वर्ष की उम्र में करियर को लेकर सबसे अधिक असमंजस होता है। ऐसे युवाओं को ट्रेनिंग, मार्गदर्शन और नेतृत्व क्षमता की शिक्षा दी जाएगी। उनका कहना है कि यह सेना युवाओं को सही दिशा देने में बड़ा योगदान देगी। सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने भी कहा कि संगठन यह सुनिश्चित करेगा कि कोई युवा गलत रास्ते पर न जाए। “हम युवाओं की क्षमता को निखारना चाहते हैं और उन्हें समाज में सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार करना चाहते हैं।
22 जिलों में शुरुआत, एक लाख सदस्यों का लक्ष्य
राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना की शुरुआत फिलहाल 22 जिलों में की जा चुकी है। राजभर का लक्ष्य है कि आने वाले समय में इसे पूरे प्रदेश में फैलाया जाए। उन्होंने कहा कि सेना में एक लाख युवाओं को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है और इसके लिए तेज़ी से काम जारी है। 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले इस कदम को राजभर की राजनीतिक रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है। अपनी नई ‘आरएसएस’ के जरिए राजभर न सिर्फ युवाओं में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं, बल्कि संगठनात्मक शक्ति भी बढ़ाना चाहते हैं। चर्चा यह भी है कि इससे वे अपने पार्टी कैडर को अनुशासित और संगठित रूप देने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे आगामी चुनावों में बड़ा लाभ मिल सके।